हमारे देश के ज्यादातर लोग खेती और पशुपालन का काम सालों से करते आए हैं लेकिन उन्हें खेती और पशुपालन करके भी कोई विशेष लाभ नहीं मिला है. वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खेती और पशुपालन करके लाखों की कमाई भी कर रहे हैं. अगर आप भी पशुपालन से जुड़ कर अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आधुनिक तरीके फॉलो करें जिससे आप इसका पूरा फायदा उठा सकें. अगर आप पशुपालन करके अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए है.
अधिकांश लोग पशुपालन करते हैं लेकिन इसके बारे में अधिक जानकारी ना होने के चलते घाटे में चले जाते हैं आज आपको भैंस की एक ऐसी नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं जो दूध देने के मामले में काफी आगे हैं और देश की सबसे खास नस्लों में गिनी जाती है. हम बात कर रहे हैं मुर्रा नस्ल की भैंस के बारे में. मुर्रा भैंस देशभर में काफी पसंद की जाती है.
किसी भी दुधारू पशु का दूध उसके रखरखाव और खान-पान पर निर्भर करता है. मुर्रा भैंस भी साफ-सफाई में रहना और संतुलित आहार लेना पसंद करती है. अगर उसकी ठीक-ठाक देखभाल की तो एक अकेली भैंस 30 लीटर तक दूध दे सकती है. हालांकि 30 लीटर दूध देने वाली मुर्रा भैंसें कम और विशेष होती हैं. औसतन मुर्रा नस्ल की भैंस बेहतर देखभाल के बाद दिन में 20 लीटर तक दूध दे सकती है जो अन्य नस्लों के मुकाबले अधिक है.
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मुर्रा नस्ल की भैंस से अच्छा लाभ लेने के लिए इनके खान-पान और रखरखाव का विशेष ध्यान रखना होता है. आपने देखा होगा कि भैंसों को आमतौर पर कीचड़ में रहना पसंद होता है लेकिन मुर्रा भैंस के साथ ऐसा नहीं है इसे साफ-सफाई बहुत पसंद है, ये कीचड़ तो दूर गंदे पानी में रहना भी नहीं पसंद करती. आहार की बात करें तो हरा चारा के साथ सूखा चारा-भूसा और कम से कम 2 किलो अनाज किसी ना किसी रूप में जरूर खिलाएं.
मुर्रा नस्ल की खासियत जानने के बाद उसे खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो उसकी पहचान करना भी सीख लीजिए. मुर्रा नस्ल की भैंस का रंग गहरा काला होता है. इनकी सींग छोटी और मुड़ी हुई होती है. पूंछ लंबी और घनी होती है, और थन बड़े और उभरे हुए होते हैं. मुर्रा भैंसों की आंख काली और चमकदार होती है. वयस्क मुर्रा भैंस का वजन 350-700 किलोग्राम और नर का 400-800 किलोग्राम होता है.