Goat-Poultry farming: मुर्गियां-बकरियां साथ पाली तो घट जाएगी चारे-फीड की लागत, जानें कैसे 

Goat-Poultry farming: मुर्गियां-बकरियां साथ पाली तो घट जाएगी चारे-फीड की लागत, जानें कैसे 

Goat and Poultry farming इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग सिस्टम (आईएफएस) के तहत बकरियों और मुर्गियों को एक साथ पाला जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि बहुत ही कम लागत पर मुर्गियों से अंडा मिलने लगता है. या फिर चिकन के लिए देसी मुर्गा कम लागत पर तैयार हो जाता है. बहुत सारे पशुपालक इस सिस्टम पर बकरियां और मुर्गियां साथ-साथ पाल रहे हैं. 

बकरी पालनबकरी पालन
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Aug 02, 2025,
  • Updated Aug 02, 2025, 8:18 AM IST

सुनने में बेशक अजीब लगेगा लेकिन मुर्गियां और बकरिया साथ-साथ पाली जा सकती है. इतना ही नहीं दोनों को साथ पालने पर लागत भी कम हो जाएगी. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने किसान तक को बताया कि मुर्गियां और बकरियों को साथ पालने से दोनों की खुराक लागत कम हो जाती है. बहुत ही कम लागत पर अंडा और चिकन के लिए मुर्गा तैयार हो जाता है. क्योंकि बकरियों का जो दाना और चारा बचता है उसे मुर्गियां खा लेती हैं. इसे इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग सिस्टम ( IFS) कहा जाता है.

कैसे काम करता है IFS सिस्टम

  • बहुत सारे गांवों में तो आज भी IFS जैसे सिस्टम पर पशुपालन होता है. 
  • गांवों में आज भी गाय-भैंस, बकरी और मुर्गियों को संग पाला जाता है. 
  • IFS सिस्टम के तहत बकरियों की मेंगनी का इस्तेमाल कर उगाया गया चारा पूरी तरह से ऑर्गनिक होगा. जब बकरियां इस चारे को खाएंगी तो दूध ऑर्गनिक मिलेगा.
  • IFS सिस्टम के तहत उगे चारे को बकरे खाएंगे तो मीट दूषि‍त नहीं होगा. 
  • बकरे का मीट एक्सपोर्ट करने में परेशानी नहीं होगी. 

ऐसे काम करता है इंटीग्रेटेड फॉर्मिंग सिस्टम

  • IFS सिस्ट्म के तहत एक ऐसा शेड तैयार किया जाता है जिसमे बकरी और मुर्गियां साथ-साथ रहती हैं.
  • दोनों के बीच फासले के तौर पर लोहे की एक जाली लगी होती है. 
  • बकरियां जब सुबह चरने के लिए चली जाती हैं तो जाली में लगा गेट खोल दिया जाता है. 
  • गेट खुलते ही मुर्गियां बकरियों की जगह पर आ जाती हैं. 
  • जमीन पर या लोहे के बने स्टॉल में बकरियों का बचा चारा होता है जिसे वो दोबारा नहीं खाएंगी.  
  • बकरियों के शेड में जाकर मुर्गियां इस चारे को बड़े ही चाव से खाती हैं. 
  • हरे चारे में बरसीम, नीम, गूलर और कई तरह के आइटम हो सकते हैं. 
  • बकरियों के शेड में जो फिकने वाली चीज होती है उसे मुर्गियां खा लेती हैं. 
  • दिनभर में एक मुर्गी 110 ग्राम या फिर 130 ग्राम तक दाना खाती है.
  • IFS सिस्टम के चलते 30 से 40 ग्राम तक दाने की लागत कम हो जाती है. 

बकरी की मेंगनी किस काम आती है

  • पानी में उगने वाले अजोला में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है. 
  • अजोला को उगाने के लिए न तो बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत है और न ही जमीन की. 
  • अजोला को उगाने के लिए लागत भी बहुत कम आती है. 
  • अजोला के लिए पानी का एक छोटा सा तालाब जैसा बनाने की जरूरत है. 
  • अजोला के शेड का साइज मुर्गियों की संख्या पर भी निर्भर करता है. 
  • इसकी गहराई भी न के बराबर ही होती है. 
  • इसमे थोड़ी सी मिट्टी डालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी मिला दें. 
  • साइज के हिसाब से मिट्टी और मेंगनी का अनुपात भी अलग-अलग होगा. 

कितनी मुर्गियां और बकरियां साथ रखनी होती हैं

  • सिस्टम के तहत आप एक बकरी पर पांच मुर्गी पाल सकते हैं. 
  • सीआईआरजी ने एक एकड़ के हिसाब से प्लान को तैयार किया है. 
  • इस प्लान के तहत आप बकरियों संग मुर्गी पाल सकते हैं. 
  • बकरियों की मेंगनी से कम्पोकस्ट भी बना सकते हैं. 
  • कम्पोपस्ट का इस्तेमाल आप बकरियों का चारा उगाने में कर सकते हैं.
  • ऐसा करने से आपको ऑर्गनिक चारा मिलेगा. 

ये भी पढ़ें- Breed Production: OPU-IVF से मां बनेंगी सड़क-खेतों में घूमने वाली छुट्टा गाय, हर गाय आएगी काम 

ये भी पढ़ें- Egg Production: पोल्ट्री फार्म में कैसे बढ़ेगा अंडा उत्पादन, पढ़ें पोल्ट्री एक्सपर्ट के 10 टिप्स

MORE NEWS

Read more!