एक-दो नहीं पांच-पांच पशुओं का दूध सिर्फ दूध ही नहीं दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. ये खास दूध कई तरह की जटिल बीमारियों को ठीक करने के लिए पिये जाते हैं. जिन्हें कोई बीमारी नहीं है वो भी ये खास दूध पीते हैं. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या ना के बराबर है. लेकिन न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की मानें तो आज कल के खानपान को देखते हुए जरूरत है कि ये खास दूध रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल किए जाएं. शायद इसी जरूरत को देखते हुए आज एनिमल रिसर्च से जुड़े साइंटिस्ट फ्यूचर मिल्क की चर्चा कर रहे हैं.
लोगों को खास पांच पशुओं के दूध के फायदे बता रहे हैं. साथ ही बीमारियों के दौरान कैसे दूध का इस्तेमाल किया जा सकता है इस बारे में भी जागरुक कर रहे हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के डायरेक्टर मनीष चेटली का कहना है कि यूरोप में बच्चों की ज्यादातर दवाईयां बनाने में बकरी के दूध का इस्तेमाल किया जाता है. डेंगू जैसी बीमारी में बकरी का दूध दवाई का काम करता है.
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डॉ. धीर सिंह का कहना है कि आज मानव स्वास्थ्य के लिए लिपिड, लैक्टोज, इम्युनोग्लोबुलिन, विभिन्न पेप्टाइड्स, न्यूक्लियोटाइड्स, ओलिगोसेकेराइड और मेटाबोलाइट्स आदि बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं. और इनकीह पूर्ति नॉन बोवाइन पशुओं के दूध से हो सकती है. बस जरूरत इतनी है कि हम उनकी तलाश कर उनका संरक्षण करें. भेड़-बकरी, ऊंट, याक और गधे नॉन बोवाइन पशुओं में आते हैं. दूध का इस्तेमाल बढ़ेगा तो इन पशुओं की संख्या भी बढ़ेगी.
राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के डायरेक्टर डॉ अर्तबंधु साहू का कहना है कि ऊंटनी के दूध के गुण आंत को तो हेल्दी बनाते ही हैं साथ में उससे जुड़ी बीमारियों को भी दूर करते हैं. वहीं दूसरी ओर ऑटिज्म और डॉयबिटिज से जुड़े लक्षणों में भी सुधार करते हैं. संक्रामण वाली बीमारियों के खिलाफ भी हमारी रोग प्रतिरक्षा में सुधार होता है. इन प्रतिरक्षा बढ़ाने वालों में प्रोटीन के अंश, जैसे लैक्टोफेरिन, इम्युनोग्लोबुलिन, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-वायरल गुण प्रमुख योगदान देते हैं.
डॉ. मनीष चेटली का कहना है कि बकरी के दूध को "दवाई" माना जाता है. इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि बकरी का दूध इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि, मलेरिया और डेंगू के दौरान पैरासाइटिमिया इंडेक्स को कम करता है. इतना ही नहीं बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन हाई ब्लड प्रेशर और हॉर्ट की बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं. और बकरी का दूध खासतौर से बच्चों के लिए जरूरी अमीनो एसिड को प्रभावी बनाता है. इसके दूध में प्रोटीन ज्यादा होता है. जबकि लैक्टोज की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले 30 से 40 फीसद तक कम होती है.
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फ्यूचर मिल्क के बारे में इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि डेयरी के कई बड़े प्लेयर की बकरी के दूध पर नजर है. बाजार भी अच्छा है. डिमांड भी है. बड़े बकरी फार्म की संख्या़ अभी कम है. लेकिन इस तरफ कोशिश शुरू हो गई हैं. कई लोगों ने बड़े बकरी फार्म की शुरुआत कर दी है. गुजरात में ही दो से तीन बड़े बकरी फार्म पर काम चल रहा है. अगर बड़े बकरी फार्म खुलने लगे तो फिर बड़ी कंपनियां भी आ जाएंगी.
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