Organic Dairy Products देश में ऑर्गेनिक का एक बड़ा बाजार तैयार हो गया है. फल-सब्जी से लेकर ऑर्गेनिक अनाज और दालों की डिमांड हो रही है. यहां तक की ऑर्गनिक दूध-घी और मक्खन की भी खूब डिमांड आ रही है. सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर ऑर्गनिक होने का दावा करते डेयरी प्रोडक्ट खूब बेचे जा रहे हैं. इसके लिए कीमत भी मुंहमांगी वसूली जा रही है. ऑर्गनिक घी बताकर तीन से चार हजार रुपये किलो तक बेचा जा रहा है. आप भी ऑर्गनिक डेयरी प्रोडक्ट का कारोबार कर सकते हैं. बस जरूरत है कि इसके लिए आपको केन्द्र सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना की उपयोजना भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) से जुड़ना होगा.
क्या और कैसा है ऑर्गनिक प्रोडक्ट का बाजार?
- ऑर्गनिक दूध-घी और मक्खन का बाजार बड़ा होता जा रहा है.
- ऑर्गनिक दूध-घी का बाजार सबके लिए खुला है.
- भेड़-बकरी का दूध बेचने वाले भी ऑर्गनिक बाजार में शामिल हो सकते हैं.
- दूध देने वाले पशुओं को हरा, सूखा और दानेदार ऑर्गेनिक चारा खिलाना होता है.
- पशु बीमार हो तो एंटीबायोटिक्स कम और आयुर्वेद और देसी दवाई देनी होती है.
- अब एटरनो पद्धति यानि आयर्वेद और घरेलू मिलाकर इलाज करना होता है.
कैसे तैयार होता है ऑर्गनिक प्रोडक्ट?
- पशुओं की बीमारी में एंटीबायोटिक्स दवाई का इस्तेमाल कम करना होता है.
- पशुओं को सभी तरह का ऑर्गनिक चारा खिलाना होता है.
- चारा हरा हो या सूखा या फिर मिनरल मिक्चर, सभी ऑर्गनिक होना चाहिए.
- ऑर्गनिक दूध-मीट का सर्टिफिकेट भी तभी मिलता है जब जांच में पशु की खुराक ऑर्गनिक साबित हो.
- केन्द्र सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना चला रही है.
- इसी की उपयोजना भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) ऑर्गनिक को बढ़ावा दे रही है.
- पशुओं को 24 घंटे ऑर्गनिक चारा खिलाने के लिए चाहिए होता है.
- बीपीकेपी की मदद से गाय के गोबर और मूत्र से नेचुरल खाद तैयार की जा रही है.
ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के लिए कैसे बनाई जाती है खाद?
- कृषि मंत्रालय से जुड़े संस्थानों में किसानों को ऑर्गेनिक चारा उगाने के बारे में बताया जा रहा है.
- बकरी और गाय रिसर्च सेंटर में खुद संस्थान भी खेतों में ऑर्गेनिक चारा उगा रहे हैं.
- ऑर्गनिक और नेचुरल फार्मिंग के लिए जीवामृत, नीमास्त्र और बीजामृत बनाया जा रहा है.
- जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देशी गाय के गोबर-मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाया जा रहा है. यह सभी चीज मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया को और बढ़ा देते हैं.
कहां संचालित हो रहे हैं बीपीकेपी केन्द्र?
- केन्द्र सरकार ने बीपीकेपी केन्द्रों की स्थापना अभी आठ राज्यों में की है.
- छत्तीसगढ़, केरल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, आंध्रा प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु में बनाए गए हैं.
- सभी केन्द्र करीब चार लाख हेक्टेयर जमीन पर होने वाली नेचुरल फार्मिंग को कवर कर रहे हैं.
- केन्द्र सरकार की इस योजना पर देश के आठ राज्यों में एक साथ काम चल रहा है.
- तीन साल में एक करोड़ किसानों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.
- इसके लिए 10 हजार जैव संसाधन इनपुट केन्द्र स्थापित करने की योजना पर भी काम चल रहा है.
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