हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली सबसे बड़ी आबादी खेती और पशुपालन से जुड़ी है. एक समय था जब पशुपालन किसानों की अतिरिक्त आय का जरिया था लेकिन आज के समय में पशुपालन करके लोग लाखों की कमाई कर रहे हैं. हमने ऐसे भी कई उदाहरण देखे हैं जो पशुपालन में पूरी तरह से उतरने के बाद सालाना करोड़ों रुपये भी कमा रहे हैं. हालांकि पशुपालन से अच्छी कमाई तब होगी जब पशु उन्नत नस्ल के होंगे और पूरी तरह से स्वस्थ रहेंगे. कई पशुपालकों की शिकायत है कि इन दिनों उनके पशु खुरपका बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस खबर में खुरपका होने का कारण और बचाव के उपाय जानेंगे.
खुरपका के बारे में बारे में बता दें कि इसे foot disease कहा जाता है जो पशुओं के खुर में होता है. ये एक संक्रमित बीमारी है जो एक पशु से दूसरे पशु में भी फैल जाती है. खुरपका होने पर खुरों के बीच और ऊपरी हिस्से में छाले हो सकते हैं, जिससे पशु को लंगड़ाकर चलने या चलने में कठिनाई हो सकती है. इसके अलावा खुर में कीड़े लगने की भी संभावना बढ़ जाती है. खुरपका होने पर पशुओं में बुखार, अधिक लार आना या खाना-पानी छोड़ने जैसी समस्या देखी जाती है.
खुरपका एक संक्रमित बीमारी है जो आमतौर पर गंदगी की वजह से फैलती है. इसका सबसे ज्यादा असर बरसात के महीने में देखने को मिलता है क्योंकि बारिश में शेड या गौशाला के भीतर अधिक नमी होने या गंदा पानी भरा रहता है.
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लगातार कीचड़ या गंदे पानी में खड़े रहने के कारण पशुओं के खुर में गंदगी चली जाती है और धीरे-धीरे ये बीमारी में बदल जाती है, खुजली होने या सफाई करने के लिए पशु बार-बार खुरों तो जमीन पटकते हैं जिससे चोट लग जाती है और संक्रमण अधिक फैलता है.
इस संक्रमित बीमारी से बचाने के लिए सबसे जरूरी है साफ-सफाई. पशुओं के शेड को साफ और सूखा रखें. बारिश के दिनों में उनको बांधने वाले स्थान में राख का छिड़काव करें जो पानी सोख ले. इसके अलावा उनके शेड में कीटनाशकों का छिड़काव करना भी बहुत जरूरी है. स्वस्थ पशुओं के शेड में कोई भी संक्रमित पशु या बीमार व्यक्ति को ना आने दें. और सबसे ज्यादा जरूरी है कि पशु चिकित्सक की सलाह पर संक्रमण का टीका लगवाएं. इस तरह से आप पशुओं को खुरपका होने से बचा सकते हैं.