गाय से ज्यादा दूध देती है इस नस्ल की बकरी, खिलाना-पालना भी है सस्ता

गाय से ज्यादा दूध देती है इस नस्ल की बकरी, खिलाना-पालना भी है सस्ता

देश में बीटल नस्ल के बकरे और बकरियों की संख्या 12 लाख है. यह नस्ल खासतौर पर पंजाब में पाई जाती है. लेकिन दूध के चलते हर राज्य में थोड़ी बहुत पाली जा रही हैं.

एक फार्म में पाली जा रही बीटल बकरी. एक फार्म में पाली जा रही बीटल बकरी.
नासि‍र हुसैन
  • Noida ,
  • Dec 20, 2022,
  • Updated Dec 20, 2022, 4:31 PM IST

कुछ वक्त‍ पहले तक बकरी पालन को शर्म की निगाह से देखा जाता था. बकरियों को गरीबों की गाय कहा जाता था. खासतौर से पंजाब में लोग बकरी पालने से कतराते थे. लेकिन आज उसी पंजाब में बड़े ही शान से बकरियां पाली जाती हैं. पंजाब में बकरियों की नस्ल भी ऐसी है जो गाय से ज्यादा दूध दे रही है. पंजाब की इस बकरी को दूसरे प्रदेश के लोग भी पालने के लिए ले जा रहे हैं. बीटल नस्ल की इस बकरी के बारे में गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह भी कई खूबियां गिनाते हैं. 

वैसे तो देश में बकरियों की 37 रजिस्टर्ड नस्ल हैं. हर एक नस्ल की अपनी एक अलग खासियत है. किसी नस्ल को मीट के लिए पसंद किया जाता है तो कोई दूध के लिए पाली जाती है. कुछ ऐसी भी नस्ल हैं जो दूध और मीट दोनों के लिए पाली जाती हैं. ठंडे और पहाड़ी इलाके की तीन खास नस्ल पश्मीना के लिए पाली जाती हैं. जबकि पश्मीना देने वाली नस्ल के बकरे बोझा ढोने के काम में भी लिए जाते हैं.

घर और कारोबार के लिए फायदेमंद है बीटल बकरी 

डॉ. इन्द्रजीत सिंह गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर हैं. किसान तक से बात करते हुए उन्होंने बताया कि बीटल नस्ल की बकरी प्रति दिन 5 लीटर तक दूध देती है. जबकि देसी गाय के दूध का एवरेज 2.5 लीटर प्रति दिन है. गाय को रोजाना 7 से 8 किलो सूखा चारा चाहिए, जबकि बकरी के लिए दिनभर में ज्यादा से ज्यादा 2 किलो बहुत हो जाता है. बीटल बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. एक बार में बकरी दो से तीन बच्चे तक देती है. जबकि गाय बकरी के इस मुकाबले में कहीं नहीं ठहरती है. 

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अगर कोई परिवार घर में दूध की डिमांड पूरी करने के लिए बीटल बकरी को पाल लेता है तो उसका दूध पर होने वाला खर्च बहुत ही कम हो जाएगा. दूसरी ओर अगर कोई बीटल बकरी को दूध का कारोबार करने के लिहाज से पालता है तो वो भी अच्छी कमाई कर सकता है. क्योंकि आज बकरी के दूध की डिमांड को देखते हुए उसकी कोई एक कीमत तय नहीं है.

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एम्स अस्पताल के सामने डेंगू मरीजों ने एक मोटी रकम खर्च कर बकरी का दूध पिया था. जो पंजाब बकरी पालने में शर्म महसूस करता था आज उसी पंजाब में बकरियों के 100 से ज्यादा बड़े फार्म हैं. ज्यादातर लोग बकरी के दूध का कारोबार कर रहे हैं.  

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