कच्छी यानी गुजराती गधों के बाद अगर सबसे ज्यादा किसी का नाम लिया जाता है तो वो हैं हलारी गधे. बेशक इनका नाम सुर्खियों में आए कोई ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, लेकिन आज इनकी डिमांड देश में दूसरे नंबर पर है. कहां जाता है कि हिरन की कस्तूरी तलाशना और हलारी गधों को ढूंढना एक बराबर है. जिसके पास है तो वो लखपति से कम नहीं है. अगर खूंटे पर गधी है तो फिर कहने ही क्या. ये चर्चे हैं कि लग्जरी कारों में बैठे लोग गधी के मालिक को एडवांस में नोटों की गड्डी देकर जाते हैं. गधे के लिए भी घर के दरवाजे पर तीन-तीन महीने का काम एडवांस में काम आता है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि हलारी गधों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक रह गई है.
अगर आप हलारी गधे खरीदना चाहते हैं तो मानसून के मौसम में आपको गुजरात की जमीन पर डेरा डालना होगा. इसी दौरान हलारी गधों के मालिक अपने पशुओं को लेकर घरों की ओर लौटते हैं. गिर में होने वाली घास कह लें या फिर पारंपारिक रीति-रिवाजों के चलते ही सही, लेकिन मालधारी समुदाय पूरे 7-8 महीने बाद अपने पशुओं के साथ जिसमे हलारी गधे भी होते हैं घरों की ओर लौटते हैं.
वैसे तो आपने अक्सर सभी गधों को पीठ पर माल ढोते हुए ही देखा होगा, लेकिन हलारी गधों की खासियत यह है कि बिना लड़खड़ाए और गिरे यह भारी से भारी सामान को लेकर पहाड़ी इलाकों में बड़े आराम से चढ़ जाते हैं. 30 से 40 किमी तक की लम्बी दूरी तक सामान ढोने के लिए भी हलारी गधों का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे तो इनकी पीठ पर लदा सामान रस्सी से बंधा होता है, बावजूद इसके इनकी खासियत यह भी है कि यह खुद से अलर्ट रहते हुए कुछ हद तक सामान को गिरने नहीं देते हैं.
अगर पहाड़ी चढ़ते-चढ़ते कोई गधा रुक जाए तो पोर्टर समझ जाता है कि सामान अब गिरने ही वाला है और वो गधे से भी नहीं संभलेगा. इसके साथ ही छोटे पशुओं का पालन करने वाले भी हलारी गधे पालते हैं. छोटे पशु वाले एक जगह से दूसरी जगह जाने के दौरान हलारी गधों का इस्तेामाल सामान ढोने के लिए करते हैं. कुम्हार मिट्टी ढोने के लिए हलारी गधों को ही पसंद करते हैं. इनका इस्तेमाल गाड़ी में जोतकर भी किया जाता है.
जानकारों की मानें तो सभी ब्रीड की गधी का दूध महंगा बिकता है और दवाईयों के साथ-साथ कॉस्मेटिक आइटम बनाने के काम आता है. लेकिन हलारी गधी का दूध सबसे महंगा बिकता है. वैसे तो इसके एक हजार रुपये लीटर तक बिकने की चर्चा है, लेकिन सही मायनों में हलारी गधी के दूध की कीमत उसकी उपलब्धता के आधार पर तय होती है. एक दिन में अच्छी हैल्थ की गधी 800 ग्राम से लेकर एक लीटर तक दूध देती है. जानकारों की मानें तो हलारी गधी के दूध के रेट तय करने से ज्यादा मुश्किल काम जरूरत के वक्त मालधारी समुदाय और हलारी गधी की तलाश करना होता है.
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