उत्तर प्रदेश में जलवायु परिवर्तन का असर अब दिखने लगा है. जुलाई महीने में पूरे उत्तर प्रदेश में मॉनसूनी बारिश कहीं कम तो कहीं ज्यादा हुई. वहीं अब अल-नीनो का प्रभाव धीरे-धीरे हावी हो रहा है. अल-नीनो की वजह से बुंदेलखंड और कानपुर मंडल के जिले में बारिश का सिलसिला टूट गया है. कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के प्रमुख डॉ. एस. एन पांडे ने बताया कि इस सीजन में पूर्वी उत्तर प्रदेश में 29 फ़ीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. वही 30 सितंबर तक चलने वाले इस सीजन में अल-नीनो के चलते बारिश की संभावना अब कम है. मौसम वैज्ञानिक के पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश कम होने से खरीफ सीजन के धान और अन्य फसलों का उत्पादन प्रभावित होने की भी आशंका है.
उत्तर प्रदेश में अल-नीनो का असर इस बार पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों पर हावी होने लगा है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक उत्तर भारत में मॉनसूनी बारिश पर आंधियों का असर अब दिखने लगा है. इसकी वजह से बारिश का वितरण और स्वरूप भी यूपी में प्रभावित हुआ है.
बुंदेलखंड और कानपुर मंडल के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी इस बार सामान्य से कम बारिश हुई है. वही 30 सितंबर तक बारिश की संभावना भी कम दिखाई दे रही है. मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस. एन पांडे के मुताबिक अल-नीनो का प्रभाव पूरे प्रदेश में है. इस बार पिछले वर्षो की अपेक्षा 29 फ़ीसदी कम बारिश दर्ज की गई है.
आगे भी मॉनसूनी हवाओं की दिशा ऊपर की ओर चल रही है जिससे बारिश होने की संभावना कम है. वर्ष 2020-21 में प्रदेश में 640 मिमी बारिश हुई. 2021-22 में 726 मिमी भी बारिश दर्ज की गई. वहीं 2022-23 में 516 मिमी बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य से काफी कम है.
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समुद्र का तापमान और वायुमंडल की परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं, उस समुद्री घटना को अल-नीनो कहा जाता है. इस बदलाव के कारण मॉनसूनी हवाओं पर भी प्रभाव पड़ता है. अल-नीनो के चलते समुद्र की सतह का तापमान चार से पांच डिग्री ज्यादा हो जाता है जिसका असर मॉनसूनी बारिश पर दिखने लगता है.
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मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर से होकर हवाएं दक्षिण भारत होते हुए बंगाल की खाड़ी से निकलती हैं जो आगे पूर्वोत्तर हिमालय राज्यों से निकलते हुए मध्य क्षेत्र, राजस्थान होते हुए जम्मू कश्मीर तक जाती हैं. इस बार मॉनसूनी हवाएं कानपुर मंडल, बुंदेलखंड और पूर्वांचल के तराई इलाकों को छोड़कर अन्य स्थानों पर बारिश के बादल नहीं बना पा रही हैं जिसकी वजह से सितंबर तक लगातार बारिश का सिलसिला टूट रहा है.
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