
बिहार के मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में लीची की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. मगर जलवायु परिवर्तन व बेहतर बाजार के अभाव में लीची के किसान परेशान हैं. इस साल चाईना लीची की खेती काफी प्रभावित हुई है. किसानों का कहना है कि इस साल लीची से उतनी कमाई नहीं होने वाली है. वहीं लीची के लिए बेहतर भंडारण की सुविधा नहीं होने के कारण दूसरे राज्यों में लीची नहीं पहुंच पा रही है. बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह के अनुसार इस साल शाही लीची पर मौसम की मार नहीं पड़ी है, जबकि मौसम की मार की वजह से चाईना लीची की खेती 50 से 60 प्रतिशत तक प्रभावित हुई है.
राज्य के 26 जिलों में लीची की खेती होती है. 37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 3.08 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है, जो पूरे देश में उत्पादित लीची का 42 प्रतिशत है. वहीं यहां प्रति हेक्टेयर 8.40 मीट्रिक टन उत्पादन होता है. 18 अक्टूबर को शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है. किसानों का मानना है कि उसके बावजूद भी बेहतर कमाई नहीं हो रही है.
ये भी पढ़ें- बिहार के युवा ने नौकरी छोड़ शुरू की खेती... अब दूसरे किसानों को भी पहुंचा रहा फायदा
वर्ष 2023 की शुरुआत के साथ ही मौसम के मिजाज में काफी बदलाव देखने को मिला. मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले युवा किसान आयुष कुमार कहते हैं कि सूबे में मुख्य रूप से शाही, चाईना, अर्ली बेदाना किस्म की खेती होती है, लेकिन इस साल शाही के साथ चाईना लीची की फसल अच्छी होने की उम्मीद थी, लेकिन शाही लीची की अपेक्षा चाईना लीची का मंजर करीब 40 से 50 प्रतिशत तक गिर गया. इसके पीछे की कहानी बताते हुए कहते हैं कि शाही लीची के 15 दिन बाद चाईना लीची का मंजर आता है. जब शाही लीची में मंजर आना था. उस समय ठंड सही थी, लेकिन अचानक मौसम गर्म होने की वजह से चाईना लीची पर मंजर कम आ सका. वहीं पश्चिमी चंपारण जिले के रहने वाले शोएब अख्तर कहते हैं कि इस साल के हर महीने गर्मी, तेज आंधी ओलावृष्टि से फसल को नुकसान पहुंच रहा है. इसकी वजह से करीब 40 से 50 प्रतिशत उत्पादन पर असर पड़ेगा.
ये भी पढ़ें- Good News: खेत में तालाब बनवाओ, 50% सब्सिडी पाओ, जानें क्या है आवेदन का तरीका
मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले किसान कुंदन कुमार उनके दोस्त प्रिंस ने 2018 में शाही लीची को जी आई टैग मिलने के बाद पहली बार लंदन लीची भेजे थे. ये कहते हैं कि मुजफ्फरपुर जिले से उत्पादन का 30 से 40 प्रतिशत लीची मुंबई, लखनऊ, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में जाता है, लेकिन बाहर लीची भेजने के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है. इसकी वजह से फसल रास्ते में ही सड़ जाता है. आगे वह कहते हैं कि पहले जहां रेलवे से 10 किलो का बॉक्स मुंबई भेजने में 35 से 40 रुपये लगता था.आज 100 रुपये लग रहा है. ट्रांसपोर्ट का दाम बढ़ा है, लेकिन उसकी तुलना में लीची का दाम नहीं बढ़ा है. हालत ये हैं कि ट्रक से लीची दिल्ली भेजा जा रहा है. भागलपुर जिले के किसान कहते हैं कि पिछले साल शाही लीची 50 से 100 रुपये सैकड़ा बेचा गया था. वहीं चाईना लीची 30 से 80 रुपए सैकड़ा बिका था. इस साल ज्यादा भाव में बिकने का अनुमान है.
बिहार सरकार की उद्यान निदेशालय पिछले 2 साल में एपीडा के सहयोग से 2 मीट्रिक टन लीची का निर्यात कर चुका है. वहीं बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह कहते हैं कि पिछले साल केवल एक करोड़ रुपये तक का लीची किसी तीसरे पार्टी के माध्यम से दूसरे देशों में निर्यात हो पाई थी. मुजफ्फरपुर की शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है, लेकिन शाही लीची का ब्रांड प्रमोशन की रफ्तार बहुत धीमी है. अगर ब्रांड प्रमोशन होता. तो यह राशि अधिक होती. आगे वह कहते हैं कि लीची के बागान से लेकर बाजार तक ले जाने के लिए कम से कम -20 डिग्री तक तापमान होना चाहिए. यानी ठंड का बेहतर प्रबंधन की जरूरत होती है. इसके लिए पैक हाउस की जरूरत है.
सरकार दरभंगा जिले पैक हाउस बनाने की बात कर रही है, लेकिन इस तरह की पैक हाउस की अधिक जरूरत है. आगे कहते हैं कि पिछले कुछ साल से विदेश में भी लीची की मांग कम हुई है. वह बताते हैं कि लीची को खराब नहीं होने के लिए सल्फर का लेप किया जाता है, लेकिन विदेशों में सल्फर पर प्रतिबंध लगने की वजह से लीची बाहर नहीं जा रही है. इस विषय पर सरकार को सोचने की जरूरत है.
ये भी पढ़ें- इथेनॉल प्लांट लगाकर हरियाणा की सहकारी चीनी मिलों को आत्मनिर्भर बनाएगी सरकार
बिहार के बागवानी फसलों में लीची का महत्वपूर्ण स्थान है. लीची का उत्पादन सूबे के 26 जिलों में की जाती है. इसके लिए उत्तर बिहार की मिट्टी और जलवायु अनुकूल है. वहीं करीब 40 हजार से अधिक किसान लीची की खेती से जुड़े हुए हैं. लीची का उत्पादन मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, शिवहर, मधुबनी, सीवान, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली, सारण, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, खगड़िया, मुंगेर, भागलपुर, बांका, जमुई, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, लखीसराय, बेगूसराय जिले में होता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today