जहां कई लोग पढ़ाई-लिखाई के बाद विदेश में जाने और हाई-प्रोफ़ाइल वाली नौकरियां हासिल करने की इच्छा रखते हैं. वहीं कुछ लोग सफलता को अपने ढंग से पाने के लिए कुछ अलग रास्ते चुनते हैं. भोपाल के 22 वर्षीय हर्षित गोधा ऐसे ही एक शख्स हैं, जिन्होंने खेती में कदम रखने के लिए विदेश में एक शानदार कॉर्पोरेट करियर छोड़ दिया.
लंदन में बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) पूरा करने के बाद हर्षित गोधा ने नौकरी के ऑफर को ठुकरा दिया और इसके बजाय इज़राइल में खेती की खास ट्रेनिंग लेने चले गए. लंदन में अपने समय के दौरान इज़राइली एवोकाडो की खेती देखकर वे बेहद प्रभावित हुए थे. इसलिए एवोकाडो जैसी बंपर कमाई देने वाली फसलों की खेती के लिए इजराइली तकनीक से भी वे बहुत प्रभावित हुए.
इस तकनीक को भारत में लाने के लिए उन्होंने मन ही मान ठान लिया. इसके लिए उन्होंने इज़राइल में गहन ट्रेनिंग ली, जिसमें टिकाऊ और उच्च उपज वाली खेती के तरीकों पर फोकस किया गया.
इसके बाद 2019 में हर्षित ने भोपाल में अपना कृषि उद्यम, इंडो-इज़राइल एवोकैडो लॉन्च किया. पांच एकड़ जमीन और 1,800 एवोकैडो के पेड़ों से शुरुआत करते हुए, उन्होंने एक लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए इज़राइली तकनीक और आधुनिक कृषि तकनीकों को आजमाया.
उनकी खेती की यह यात्रा चुनौतियों से भरी रही, खासकर COVID-19 महामारी के दौरान, जिसने एवोकैडो के पौधों के आयात के उनके प्रयासों को रोक दिया. हालांकि, 2021 तक, उन्होंने सफलतापूर्वक 20,000 पौधे आयात किए, जिससे बड़े पैमाने पर खेती की शुरुआत हुई.
आज, हर्षित एवोकाडो की खेती और पौधों की बिक्री से सालाना 1 करोड़ से ज्यादा कमाते हैं. उनकी सफलता व्यक्तिगत उपलब्धियों से कहीं आगे तक फैली हुई है, क्योंकि अब वे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के किसानों को एवोकाडो के पौधे सप्लाई करते हैं. वे फ्री गाइडेंस प्रोग्राम भी चलाते हैं. ब्लॉग, ई-बुक और किसानों को बताने के लिए एक YouTube चैनल के ज़रिए अपना ज्ञान साझा करते हैं.
हर्षित उन किसानों की तरह खेती करने में भरोसा नहीं रखते जो परंपरागत ढंग से चलती है. वे हमेशा इनोवेटिव कृषि और आइडिया पर काम करते हैं. उनका मानना है कि तमाम चुनौतियों के बीच किसान अगर अधिक कमाई के लिए बागवानी और फलों की खेती पर ध्यान दें तो उनकी इनकम तेजी से बढ़ेगी. इसके लिए वे किसानों को बताते और समझाते भी हैं कि नौकरी से बेहतर हमारी खेती हो सकती है. लेकिन उसके लिए जोखिम लेते हुए आगे बढ़ना होगा.
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