देश में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती पर फोकस कर रहे हैं. इससे उनको काफी फायदा भी हो रहा है. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक किसान ने शिमला मिर्च की खेती शुरू की. इस किसान ने आधुनिक और वैज्ञानिकों तरीकों को शामिल किया. इससे उनकी लाखों की कमाई हो रही है. ये किसान पिछले 2 साल से खेती कर रहे हैं और अपनी कमाई से संतुष्ट हैं. इसके अलावा वो टमाटर, लौकी, कद्दू जैसी सब्जियों की भी खेती करते हैं.
किसान मेराज अहमद सुल्तानपुर जिले के रहने वाले हैं. मेराज एक एकड़ में शिमला मिर्च की खेती करते हैं. इस बार उन्होंने 2000 से अधिक पेड़ लगाए हैं. मेराज पिछले 2 साल से शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. हिंदी डॉट न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेराज ने बताया कि वो सेवनीज प्रजाति के पौधे लगाते हैं. जिससे अच्छी पैदावार होती है. इस खेती से मेराज को ढाई लाख से अधिक की कमाई होती है.
मेराज शुरुआत में खेती नहीं करना चाहते थे. वो सेना में भर्ती होना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने 7 साल तक तैयारी की. इस दौरान मेराज ने आईटीआई भी कर लिया. लेकिन सेना में जाने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका. जब वो सेना में नहीं जा सके तो उन्होंने खेती करने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने शिमला मिर्च की खेती के बारे में जानकारी हासिल की. उसके बाद इसमें जुट गए.
मेराज अहमद ने बताया कि अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में शिमला मिर्च के पौधे लगाते हैं. जनवरी में फसल तैयार हो जाती है. वो खेती के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक तरीका अपनाते हैं. पौधों को खरपतवार से बचाने के लिए मल्च विधि का इस्तेमाल करते हैं. उनका कहना है कि 55 से 60 दिन के भीतर फसल तैयार हो जाती है.
शिमला मिर्च की खेती के लिए रेतीली-दोमट मिट्टी की जरूरत होती है. ऐसी जगह पर इसकी खेती होती है, जहां जल निकासी की उचित व्यवस्था हो. मिट्टी का पीएच 6 होना चाहिए. शिमला मिर्च का पौधा 40 डिग्री तक के तापमान में हो सकता है.
शिमला मिर्च के बीज को लगाने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए. बीजों को 3-4 इंच की गहराई में दबाना चाहिए. इसके बाद खाद और पानी डालना चाहिए. रोपाई के 30-40 दिन के बाद पहली खाद दें. जब पौधों में फूल आने लगे, तब दूसरी बार खाद देना चाहिए. शिमला मिर्च के पौधों को सहारा देने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करें. इसके पौधों में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करना चाहिए.
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