भारत में टैलेंट और जुगाड़ करने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है. आए दिन लोगों के टैलेंट और जुगाड़ से बनी तकनीकों और मशीनों की खबरें आती रहती हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान और तकनीक ने लोगों के मुश्किल से मुश्किल काम को बेहद ही आसान बना दिया है. लेकिन जिन लोगों की अत्याधुनिक चीजों तक पहुंच नहीं है, ऐसे लोग जुगाड़ तकनीक से किसी भी समस्या का हल निकालना बखूबी जानते हैं. ऐसा ही एक मशीन 14 साल के बच्चे ने देसी जुगाड़ से बनाई है. ये मशीन शहद निकालने के काम में आती है. वहीं इस मशीन की कीमत भी अधिक नहीं है.
कर्नाटक के रहने वाले 10वीं कक्षा के छात्र मास्टर पी जवाहर राजा ने देसी जुगाड़ से शहद निकालने वाली मशीन बनाई है. दरअसल पारंपरिक तरीकों में शहद के छत्ते से मोम को अलग करना काफी कठिन प्रक्रिया है, जिससे मधुमक्खी पालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसी ही समस्याओं को दूर करने के लिए पी जवाहर राजा द्वारा एक सौर आधारित शहद निकालने वाली मशीन विकसित की गई है.
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मधुमक्खी के छत्ते से शहद को अलग करने वाली मशीन को बनाने में छात्र ने स्टील के बॉक्स का सहारा लिया. इसमें दोनों तरफ लेंस लगा हुआ है. वहीं स्टील बॉक्स को अंदर से काले रंग से रंगा गया है और थर्माकोल से ढका गया है. इसके अलावा स्टील के डिब्बे में नीचे की ओर एक छोटा सा छेद है, जिसमें पिघला हुआ शहद एकत्र हो जाता है. ऐसे में इस मशीन के उपयोग से मधुमक्खी पालन करने वालों के लिए बेहतर मशीन है.
इस तकनीक को अपनाने से 10 किलोग्राम शहद के छत्ते को अलग करने से 7 किलोग्राम मोम प्राप्त होती है. वहीं 10 किलो शहद प्राप्त करने में एक व्यक्ति 1,700 रुपये की तुलना में 2,400 रुपये की अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकता है. यानी इस यंत्र के इस्तेमाल से आप 700 रुपये बचा सकते हैं.
इस मशीन को एम केवीके द्वारा फार्म इनोवेशन के रूप में पहचाना गया है. वहीं एक वैज्ञानिक विषय पर पुधिया थलैमुरई की ओर से इस मशीन को जिला स्तरीय पुरस्कार दिया गया. इसके अलावा इरोड के जिला कलेक्टर द्वारा सम्मानित किया गया. इस 14 साल के बच्चे को इस मशीन को बनाने के लिए यंग अचीवर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. साथ ही स्कूल शिक्षा निदेशक, भारत सरकार की ओर से 5,000 रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिया गया. वहीं इस मशीन को स्पेस किड्स इंडिया द्वारा आयोजित युवा वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिल चुका है.
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