कर्नाटक और महाराष्ट्र में अरहर के दाम में गिरावट देखी जा रही है. दाम में गिरावट से जहां एक तरफ ग्राहकों में खुशी है तो वहीं दूसरी ओर किसान परेशान हो गए हैं. किसानों को उम्मीद थी कि जिस तरह से हाल के समय में बाजारों में दालों के दाम बढ़े थे, उसे देखते हुए उनकी उपज का भाव भी अच्छा मिलेगा. लेकिन नई फसल आने के बाद मंडियों में सप्लाई बढ़ गई जिससे दाम में गिरावट आ गई है. अब किसानों को आशंका है कि उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलेगा.
दरअसल बाजार में आवक बढ़ने के कारण कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में अरहर की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है. कर्नाटक की मंडियों में अरहर कि कीमत में 14 से 15 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह में कीमतों में 10 फीसदी हिस्से से अधिक की गिरावट आई है.
अरहर की गिरती कीमतों से भारत सरकार को कुछ राहत मिली है, जो महंगाई दर को लेकर चिंतित हैं. साथ ही कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को अरहर की दाल की कीमतों में राहत की उम्मीद है. वहीं कर्नाटक और महाराष्ट्र में तुअर की कीमतें गिरकर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल से थोड़ी ऊपर हैं, जो पिछले सप्ताह में 9000 रुपये प्रति क्विंटल थी. उससे 1000 कम हो गई है. वहीं 2023-24 सीज़न के लिए अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7,000 रुपये प्रति क्विंटल है.
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इस घटते हुए दाम से दाल व्यापारी सतर्क रुख अपना रहे हैं. व्यापारी महाराष्ट्र के विदर्भ और कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में अरहर की आवक बढ़ने और कीमत के रुझान पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. तुअर सीजन शुरू होते ही बाजार व्यापारी स्थिति पर नजर रख रहे हैं. इसके साथ ही लातूर में आवक 10,000 से 12,000 टन के बीच बताई गई, वहीं कीमतें की बात की जाए तो 7,800 से 8,500 रुपये प्रति क्विंटल तक रही.
बाजार में अरहर की आवक बढ़ने से उपलब्धता में सुधार हुआ है, जिसके कारण कीमतों में गिरावट आई है. इसके अलावा म्यांमार से आयात के सौदे होने लगे हैं, जिससे कीमतों में नरमी आई है. साथ ही मॉनसून का प्रभाव भी कीमतों में गिरावट का कारण है. 2023 में मॉनसून में देरी के कारण अरहर का रकबा प्रभावित हुआ. इसके बावजूद, उत्पादन लगभग 34.21 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा अधिक है.
भारत में अरहर की खपत लगभग 45 लाख टन है और इसकी कमी म्यांमार और पूर्वी अफ्रीकी जैसे देशों से आयात के माध्यम से पूरी की जाती है. सरकार ने अरहर जैसी दालों के लिए शुल्क-मुक्त आयात विंडो को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है.
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