कहते हैं ना कि अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो मिट्टी में भी सोना उगाया जा सकता है. दरअसल, मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के घंसौर ब्लॉक के 40 किसानों ने ऐसा ही करके दिखाया है. इन सभी किसानों ने 11 वर्ष पहले एक एकड़ बंजर जमीन को इस उम्मीद के साथ अपनाया था कि वह उनके आर्थिक संकट को दूर करने में सहायता करेगी. उनका यह सपना अब सच हो गया है. पथरीली और बंजर जमीन किसानों के सामूहिक प्रयासों से हरी-भरी तो हुई ही, साथ ही काजू जैसे सूखे मेवे देकर उनकी कमाई का जरिया भी बनी. आइए जानते हैं इन किसानों की सफलता की कहानी.
एक एकड़ जमीन से शुरू की गई मेहनत अब 40 एकड़ बंजर भूमि को उपजाऊ बना चुकी है. अब यहां काजू के साथ ही आम के पेड़ और सब्जियों के पौधे भी लहलहाते हैं. सिवनी जिले के आदिवासी ब्लॉक घंसौर अंतर्गत बरेला, जम्होड़ी, इमलीटोला और पनारझिर समेत आसपास के गांव के 40 किसानों ने काजू के 20-20 और आम के 30 पौधे 11 साल पहले लगाए थे. इन पौधों की देखरेख से किसानों को साल में एक बार काजू और आम के फल तो मिल ही रहे हैं, साथ ही जमीन उपजाऊ बनने के कारण किसान यहां सब्जियों की खेती भी करने लगे हैं.
काजू और आम की खेती ने किसानों के परिवार की आर्थिक स्थिति बदल दी है. पनारझिर गांव के महेंद्र उइके, धूर सिंग मरावी, सूरज मरावी, जम्होड़ी गांव के शिवनाथ करयाम, प्रहलाद नेताम, मुंडा गांव के धनीराम पत्राम, हरी सिंग मरावी, बीर सिंग मरावे आदि ने बताया कि उनकी एक एकड़ जमीन पूरी तरह पथरीली और बंजर थी. फिर उन लोगों ने इस जमीन पर 11 साल पहले काजू और आम के पौधे लगाए. पौधे लगाने के चार साल बाद पहली बार काजू के पौधे से फल आना शुरू हुआ.
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किसानों ने बताया कि अब हर साल गर्मी के दिनों में एक से दो क्विंटल तक काजू का उत्पादन हो रहा है. यह काजू आसपास के लोग सात सौ से आठ सौ रुपये प्रति किलो के भाव से खरीद कर ले जाते हैं. किसानों ने बताया कि काजू लगाने के शुरुआती दिनों में कड़ी मेहनत करनी पड़ी. अब इस काजू और आम की फसल से अच्छी कमाई हो रही है. हालांकि, फल के अंदर से काजू निकालने में उन्हें खासी मशक्कत करनी पड़ती है.
कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी के वैज्ञानिक निखिल सिंह ने बताया कि घंसौर ब्लॉक की पथरीली और बंजर जमीन काजू फसल के लिए उपयुक्त पाई गई थी. यहां किसानों ने बेकार पड़ी इस जमीन में काजू और आम की फसल लगाई. इनकी पत्तियां झड़कर जमीन में गिरने से सड़ने और प्राकृतिक खाद के रूप में बदलने से भूमि धीरे-धीरे उपजाऊ होती गई. वहीं, किसानों ने भी कड़ी मेहनत कर जमीन में बिखरे पत्थरों को हटाकर उसे खेती के लायक बनाया. अब किसान काजू और आम के साथ अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को लगाकर कमाई करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
जिले के घंसौर ब्लॉक के गांवों में सिंचाई के संसाधनों की कमी है. यहां की अधिकांश जमीन बंजर और पथरीली है, ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसी ही भूमि काजू फसल के लिए उपयुक्त होती है, इसलिए घंसौर क्षेत्र के गांव को काजू उत्पादन के लिए चुना गया था. यहा लगभग 40 किसान 40 हेक्टेयर में काजू, आम के साथ सब्जियों की फसल ले रहे है. इन फसलों के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है.
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