खेती अगर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ की जाए तो नौकरी से अधिक मुनाफा दे सकती है. यह बात सिद्ध किया है महाराष्ट्र के एक किसान परिवार ने. यह परिवार अहमदनगर का है. अहमदनगर के राहुरी तहसील में रहने वाले रामदास और नीलम चिंचवर दोनों अध्यापक की नौकरी करते हैं. लेकिन खेती करने की इच्छा ने उन्हें केसर की तरफ मोड़ दिया. केसर की खेती की जानकारी उन्हें कुछ न थी. इसलिए गूगल और यूट्यूब पर इसके बारे में छानबीन शुरू की.
यूट्यूब पर उन्हें केसर की खेती का एक वीडियो दिखा. इस वीडियो को देखकर उन्होंने केसर की खेती के बारे में रिसर्च की. इसी में उन्होंने कश्मीर के किसानों से बात की जहां केसर की सबसे अधिक खेती होती है. किसानों से टिप्स लेकर पति-पत्नी ने अपने घर में एक आर्टिफिशियल जगह बनाई और केसर की खेती शुरू की. उन्होंने कश्मीर से केसर के बीज मंगाए और उसकी बिजाई की. इसके लिए उन्होंने घर के कमरे में ही ट्रे लगाया और उसमें केसर की बुवाई की.
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केसर के लिए जिस तरह का तापमान चाहिए, वैसा ही तापमान उस रूम में मेंटेन किया है. फसल को पानी भार के जरिये दिया जाता है. केसर की खेती करने के तीन स्टेज होते हैं. केसर के बीज को साफ कर उसे ट्रे में रखा जाता है. उसके बाद जैसे ही बीज से पोधा तैयार होता है, उसके बाद उसे मिट्टी में रोप दिया जाता है. फिर उस पौधे से फूल आते हैं. उसी फूल से केसर को निकाला जाता है. साल में एक बार ही केसर की फसल ली जाती है. उसके बाद एक बीज से चार बीज तैयार होने के कारण हर साल नया बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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केसर की खेती करने वाले इस अध्यापक परिवार ने एक साल पहले तीन किलो बीज मंगवाया था. इस साल उनके बीज दोगुने हो गए हैं. तीन किलो केसर से उन्हें इस साल 250 ग्राम केसर मिला है. केसर की मांग दुनिया भर में है. भारत में एक ग्राम केसर की किमत 700 से 800 रुपये किलो है. जितनी मांग देश और दुनिया में है, उतना केसर कश्मीर से नहीं मिलता है. कश्मीर के कुछ ही जगहों पर केसर की खेती होती है. इस वजह से केसर की मांग ज्यादा है. अहमदनगर के इस चिंचवर परिवार ने जिस तरह का अनोखा प्रयोग शुरू किया है, उससे बाकी किसानों को केसर की खेती करने की प्रेरणा मिलेगी.
ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते तापमान में हर वक्त बदलाव होता है जिससे किसान पारंपरिक खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. इस खेती में उन्हें भारी घाटा हो रहा है. कभी अकाली बारिश तो कभी सूखा के चलते फसल खराब हो रही है. साथ ही फसल का सही दाम नहीं मिलने के कारण भी किसानों को नुकसान हो रहा है. लेकिन सही तरीके से नकदी फसलों की खेती करें तो यह नुकसान कम हो सकता है. चिंचवर परिवार ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में यही किया है. वे आर्टिफिशियल तरीके से केसर की खेती कर रहे हैं और दूसरे किसानों को प्रेरणा दे रहे हैं.(रोहित वाल्के की रिपोर्ट)
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