सब्जियों की खेती ठीक से करें तो यह फल के बराबर फायदा दे सकती हैं. बस ये जानकारी होनी चाहिए कि किस सब्जी की खेती कब और कैसे करनी है. चुकंदर के बारे में आप खूब अच्छी तरह से जानते हैं. इसका इस्तेमाल मोटे तौर पर सलाद के रूप में होता है. लोग इसे कच्चा खाना भी पसंद करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इसका और भी कई तरह से उपयोग होता है. यहां तक कि हर्बल कलर बनाने में भी इसे प्रयोग किया जाता है. तभी कई किसान हैं जो चुकंदर की खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं. इसी में एक किसान महाराष्ट्र के हैं जिनकी सफलता की कहानी आज हम जानेंगे.
महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव धमरी शिरूर के एक छोटे से गांव के एक युवा किसान चंद्रकांत डफाल ने नौकरी की तलाश किए बिना चुकंदर सहित कई अन्य सब्जियों की खेती करके अपनी किस्मत बदल ली. चंद्रकांत डफाल ने बताया कि पढ़ाई करते हुए कई साल बीत चुके थे. तब पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नौकरी करने के बजाय शौक के तौर खेती करने का फैसला लिया, जिसमें थोड़े समय बाद वो सफल हो गए. फिर उन्होंने खेती को ही अपना पेशा बना लिया. डफाल ने बताया कि अलग-अलग प्रयोग करके उन्होंने छह एकड़ चुकंदर की खेती करके 13 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है.
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चंद्रकांत चुकंदर के अलावा धनिया, मेथी, चना जैसी कई फसलें उगाते हैं जिसमें उन्हें भरपूर उपज मिलती है. उन्होंने बताया कि समय के साथ-साथ मिट्टी और जल प्रदूषण की समस्या को देखते हुए काटना पद्धति से चुकंदर की लालिमा किस्म लगाने का फैसला किया. फिर उन्होंने अपने छह एकड़ खेत में 200 ग्राम के साठ डिब्बे लगाए. उन्होंने पानी, जलवायु और गर्मी का अध्ययन करने के बाद अपनी फसलों पर सही दवाओं का छिड़काव किया और छह एकड़ भूमि में 70 टन की भारी उपज प्राप्त की. बता दें कि लालिमा किस्म के चुकंदर की पुणे जिले और अन्य राज्यों में भी काफी मांग बढ़ी है.
किसान ने बताया कि नवंबर में जब उनकी फसल तैयार हो गई तो जिले में आपूर्ति की कमी को देखते हुए चुकंदर की इस किस्म की अब तक की सबसे ऊंची कीमत 24 रुपये 50 पैसे प्रति किलो मिली. माताजी कृषि फार्म खडकी पिंपलगांव के परियोजना अधिकारी अक्षय कामठे ने मौके पर आकर उनका चुकंदर खरीदा. फसल की अच्छी क्वालिटी के कारण चुकंदर को बिक्री के लिए बाजारों तक नहीं जाना पड़ा.
उन्होंने अनुमान लगाया था कि एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 200 ग्राम के दस डिब्बे लगाने पर 12 टन चुकंदर का उत्पादन होगा. जब ये अनुमान सफल रहा तो उन्हें छह एकड़ में लगभग 17 लाख रुपये की आय प्राप्त हुई. डफल ने बताया कि चुकंदर की खेती में उनकी औसत लागत 4 लाख रुपये थी, जिसमें उन्होंने शुद्ध लाभ 13 लाख रुपये कमाए. इसके अलावा, उन्होंने इन कृषि फसलों के माध्यम से कई लोगों को रोजगार भी दिया. उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि शिक्षा के माध्यम से नौकरी पाने के बजाय कृषि के माध्यम से विकास हासिल किया जा सकता है.
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