हर जगह देसी जुगाड़ का महत्व है. इससे बड़े-बड़े काम आसान हो जाते हैं. खेती में तो इसके कई फायदे हैं. भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन यहां हाईटेक तकनीक की भारी कमी है. पैदावार मनमुताबिक नहीं मिलने का एक कारण यह भी है. हालांकि किसान हाईटेक तकनीक का रोना नहीं रोते, बल्कि वे खुद की तकनीक बना लेते हैं. वो भी देसी जुगाड़ से. ऐसा ही एक जुगाड़ पंजाब के किसान ने बनाया है.
इस किसान ने रोटावेटर में हैप्पी सीडर मशीन लगा दी है. इस मशीन की लागत मात्र 35000 रुपये आई है. इस मशीन का फायदा ये हुआ कि किसान को अब खेत में पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती. ये ऐसी मशीन है जो पराली के बीच गेहूं की बुवाई कर देती है. इससे पराली को हटाने का खर्च बचता है, साथ में बेहद आसानी से गेहूं की बुवाई हो जाती है. लुधियाना के इस किसान ने कम खर्च में अपना बड़ा काम कर लिया है.
इस देसी मशीन को रोटावेटर के ऊपर लगाया गया है. इस मशीन में एक पात्र लगा है जिसमें बीज को रखते हैं. रोटावेटर और हैप्पी सीडर की ये दोनों मशीन ट्रैक्टर पर लगती है. ट्रैक्टर के साथ ये दोनों मशीनें चलती हैं. रोटावेटर जहां पराली के साथ ही खेत की जुताई करता है, वहीं देसी जुगाड़ की हैप्पी सीडर मशीन क्यारियों में गेहूं की बिजाई करती है. इससे पूरे खेत में एकसमान गेहूं की बिजाई होती है. बड़ी कंपनियों का हैप्पी सीडर मशीन खरीदें तो खर्च अधिक आएगा, लेकिन देसी जुगाड़ का खर्च बहुत कम है.
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यह देसी जुगाड़ ऐसा है जिसका इस्तेमाल खेत में बिना जुताई किए गेहूं की बुवाई में किया जा रहा है. जिस तरह हैप्पी सीडर को ट्रैक्टर से जोड़ कर चलाते हैं, उसी तरह किसान ने इस देसी जुगाड़ मशीन को भी ट्रैक्टर से जोड़कर चलाने का काम किया है. दरअसल, हैप्पी सीडर मशीन में दो पार्ट होते हैं-जीरो टिलेज ड्रिल और रोटर. किसान ने रोटर के रूप में रोटावेटर की मदद ली और उसके ऊपर देसी जुगाड़ लगा दिया.
यह ऐसी मशीन है जो खेत में फैली पराली के बीच गेहूं की बुवाई करती है. इससे बुवाई करने पर सिंचाई के पानी की जरूरत कम होती है. इस देसी जुगाड़ से गेहूं की बुवाई करने पर डीजल की भी बचत होती है क्योंकि यह बड़ी हैप्पी सीडर मशीन से छोटी और हल्की है. किसान का कहना है कि इस मशीन ने उसके कई काम को आसान कर दिया है और खेती की लागत घटा दी है.
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