आमतौर पर खेती को एक ऐसा पेशा माना जाता है जहां जमीन की जरूरत होती है. किसान को मिट्टी, मौसम और जलवायु जैसे कारकों पर निर्भर रहना होता है. लेकिन महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाले युवा पति-पत्नी इन सभी बाधाओं को पीछे छोड़कर महज 450 स्वेयर फिट की जगह में कश्मीरी केसर की फसल उगा रहे हैं. खास बात यह है की इस फसल से उन्हें सालाना ढाई करोड रुपये तक की कमाई भी हो रही है.
'एरोपोनिक' तकनीक से करते हैं खेती
दिव्या और उनके पति अक्षय ने यह बिजनेस ऐसे ही शुरू नहीं किया. उन्होंने कश्मीर जाकर दो साल कश्मीरी केसर की खेती सीखी. ट्रेनिंग के बाद उन्होंने नागपुर आकर केसर की फसल लगाना शुरु की. बड़ा सवाल यह था कि वह कश्मीर की फसल नागपुर में कैसे उगाएं? इसका जवाब था एरोपोनिक तकनीक.
इस तकनीक में पौधों को मिट्टी के बिना उगाया जाता है. जहां फसल उगानी है वहां उस फसल जैसा प्राकृतिक माहौल बनाना होता है. जब अक्षय और दिव्या नागपुर में कश्मीरी केसर उगाने चले तो उन्होंने सबसे पहले अपने कमरे में कश्मीर जैसी जलवायु तैयार की. इसके बाद वे तापमान और कमरे के कोहरे (Mist) पर फसल के लिए निर्भर रहे.
अक्षय बताते हैं, "हम नागपुर के गर्म तापमान में एक नियंत्रित पर्यावरण बना रहे हैं. कश्मीर जैसा वातावरण तैयार करके हम कश्मीर से केसर के बीज लाकर यहां पर प्रोडक्शन कर रहे हैं. हम पूरे साल में चार महीने खेती करते हैं. बाकी आठ महीने केसर के सभी बीज स्लीप मोड में रहते हैं. यानी ये मिट्टी में रहकर सभी जरूरी पोषक तत्व हासिल करते हैं."
केसर की खेती से कमा रहे करोड़ों
बीबीए की डिग्री लेने वाले अक्षय होले और पेशे से बैंकर दिव्या होले ने अपना कश्मीरी केसर की खेती का बिजनेस पांच साल पहले शुरू किया था. दोनों ने यह बिजनेस छोटे स्तर पर शुरू किया था. लेकिन अब वे 450 स्वेयर फीट जगह में खास तकनीक की मदद से केसर की खेती कर रहे हैं. सिर्फ यही नहीं, ये दोनों अन्य लोगों को इस खेती की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं और फ्रेंचाइजी बांट रहे हैं.
दिव्या होले ने खास बातचीत में बताया, "हमने पांच साल पहले यह बिजनेस शुरू किया था. पहले हमने छोटे स्केल से शुरुआत की. जब हमें पहली कोशिश में सफलता मिली तो खेती को बढ़ाते गए. साल 2024 साल में हमने लगभग 45 किलो केसर उगाया है. इससे हमें ढाई करोड़ से ज्यादा की कमाई हुई है."
दिव्या और अक्षय चाहते तो अपनी-अपनी नौकरियां करते रह सकते थे. लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़कर रिस्क लिया. अब यह रिस्क उन्हें मुनाफा दे रहा है और वे अपनी सफलता की कहानी लिख रहे हैं.(योगेश कशीद का इनपुट)
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