न कीटनाशक न खाद का खर्च, लखनऊ का ये किसान खास तरीके से ले रहा सब्जी-फलों की पैदावार

न कीटनाशक न खाद का खर्च, लखनऊ का ये किसान खास तरीके से ले रहा सब्जी-फलों की पैदावार

Organic Khaad: विनोद ने बताया कि बहुत से लोग किचन से निकले कचरे को फेंक देते हैं, लेकिन अब इससे खाद बनाई जा रही है. इसके लिए सबसे पहले आपको किचन वेस्ट को एक जगह पर इकट्ठा कर लें फिर इन छिलकों को धूप में अच्छे से सूखा लें.

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न कीटनाशक न खाद का खर्च, लखनऊ का ये किसान खास तरीके से ले रहा सब्जी-फलों की पैदावारलखनऊ के गोमती नगर के विनय खंड के रहने वाले किसान विनोद कुमार पांडेय (Photo-Kisan Tak)

बदलते दौर में बहुत से किसान फिर से ऑर्गेनिक खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं. वो अच्छी फसल उगाकर बेहतर कमाई कर रहे हैं.कुछ इसी तरह वेजिटेबल मैन ऑफ लखनऊ के नाम से मशहूर विनोद कुमार पांडेय ने एक बार फिर एक नया कमाल कर दिखाया है. उन्होंने घर के गीले कचरे से ऑर्गेनिक खाद तैयार करके सब्जियों और मौसमी फलों की बंपर पैदावार कर रहे हैं. इन्होंने बीते 32 सालों में एक भी कचरा बाहर नहीं फेंका है. वहीं गीला कचरा ही खाद (Compost) में बदला जाता है. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में सफल किसान विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि जब वह साल 1994 में लखनऊ आए तो गोमती नगर में मकान लिया. तब से ही वो घर की छत पर सब्जी उगा रहे थे.

घर में बने ऑर्गेनिक खाद के कई फायदें

उन्होंने बताया कि घर से निकलने वाला गीला कचरा हम दो ड्रमों में डालते है. जब ड्रम में कीड़े पैदा होते है, तो उसके जूस से ऑर्गेनिक खाद बनता है. पांडेय ने बताया कि घर में बिना कोई लागत से तैयार इस खाद को जब हम पानी में मिलाकर पौधों में डालते हैं, तो बहुत तेजी से उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि जो लोग किचन गार्डनिंग करते है, उनका इस तकनीक का इस्तेमाल हर घर में करना चाहिए. एक तरफ जहां घर का कचरा भी साफ होता है, दूसरा इस ऑर्गेनिक खाद से सब्जियों और फलों की अच्छी पैदावार होता है. कहा,’प्रकृति हमें विभिन्न प्रकार के ऐसे तत्व उपलब्ध कराती है, जिसके माध्यम से हम कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य सकते हैं.’ अब भले ही लोग विभिन्न प्रकार के पेस्टिसाइड व खाद का उपयोग करने लगे हों. लेकिन हम घर में तैयार खाद का उपयोग करते थे.

घर की छत पर कर रहे हैं सब्जियों और फलों की पैदावार

लखनऊ के गोमती नगर के विनय खंड के रहने वाले विनोद कुमार पांडेय 1000 से अधिक गमलों में लाल-काले बैंगन और नींबू, कद्दू, तरोई, खीरा, हरी मिर्च, लाल मिर्च, नींबू के साथ ही भिंडी, करेला और बैंगन, टमाटर, मूली समेत तमाम मौसमी सब्जियां उगाते हैं. अब वे अपने घर में फल भी उगाने लगे हैं. इन्होंने अपने घर में ही अब आम उगा दिया है जिसका नाम इन्होंने स्वर्ण रखा है. जिसमें खास तौर पर आम, संतरा, जामुन, चीकू और अनार हैं. आसपास के लोग तो इनको शहरी स्मार्ट किसान भी कहने लगे हैं. सेब और संतरा जैसे फलों की पैदावार में वो घर में तैयार खाद का प्रयोग करते है. 

कैसे बनती है वेस्ट से खाद

विनोद ने बताया कि बहुत से लोग किचन से निकले कचरे को फेंक देते हैं, लेकिन अब इससे खाद बनाई जा रही है. इसके लिए सबसे पहले आपको किचन वेस्ट को एक जगह पर इकट्ठा कर लें फिर इन छिलकों को धूप में अच्छे से सूखा लें. फिर दूसरे स्टेप में सारे सूखे छिलके को एक बाल्टी में डालें और उसमें गोबर और पानी का घोल भर दें. इसके बाद इस घोल को किसी ठंडे जगह पर रख दें और कुछ दिनों तक सुखाएं. इसे करीब 4-5 दिन तक सुखाएं, आपकी खाद बनकर तैयार है. आप इनका इस्तेमाल पौधों में कर सकते हैं. किसी तरह का कोई मार्केट का बना हुआ कीटनाशक इस्तेमाल नहीं करते हैं, इसलिए उनके घर की सब्जी और फल सेहतमंद होते हैं. इसी खाद के उपयोग से किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं.

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