Poultry Production: लागत कम करने और ज्यादा प्रोडक्शन के लिए पोल्ट्री फार्म में जरूरी हैं ये दो काम

Poultry Production: लागत कम करने और ज्यादा प्रोडक्शन के लिए पोल्ट्री फार्म में जरूरी हैं ये दो काम

Poultry Production Management लेयर पोल्ट्री फार्म यानि अंडे देने वाली मुर्गियों के फार्म में मुर्गियां एक-दूसरे को चोंच मारकर घायल कर देती हैं. लम्बी और पैनी चोंच के चलते मुर्गियां फीड भी बहुत खराब करती हैं. इसलिए हर डेढ़ से दो महीने में एक बार मुर्गियों की चोंच की ट्रिमिंग कराना जरूरी है. वहीं अंडे का ज्यादा प्रोडक्शन लेने के लिए बीच-बीच में मुर्गियों का वजन करते रहें और सभी को एवरेज एक जैसे वजन का रखें. 

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Poultry Production: लागत कम करने और ज्यादा प्रोडक्शन के लिए पोल्ट्री फार्म में जरूरी हैं ये दो कामपोल्ट्री फार्म को सुरक्षित रखना जरूरी

पोल्ट्री फार्म में मुनाफा दो बड़ी वजह से होता है. एक तो लागत कम करके और दूसरा उत्पादन बढ़ा कर. पोल्ट्री एक्सपर्ट और वेटरिनेरियन डॉ. इब्ने अली ने किसान तक को बताया कि पोल्ट्री फार्म में खासतौर पर अंडों का उत्पादन बढ़ाने और उनकी लागत को कम करने के लिए दो काम करना बहुत जरूरी है. अगर ये दो काम किए तो पोल्ट्री फार्मर का मुनाफा बढ़ना तय है. ये दो काम हैं मुर्गियों का वजन न बढ़ने देना और वक्त पर मुर्गियों की चोंच की ट्रिमिंग कराना.  

ज्यादा अंडा उत्पादन के लिए न बढ़ने दें मुर्गियों का वजन 

  • चूजा पालन के वक्त से सभी का एक जैसा वजन बनाकर रखें. 
  • पोल्ट्री फार्म में सभी चूजे साथ-साथ बड़े.
  • कोशि‍श करें की 85 से 90 चूजों का वजन बराबर हो. 
  • वजन बराबर होता है तो अंडे देने की क्षमता बढ़ती है. 
  • फीड और लाइट मैनेजमेंट आसान हो जाता है. 
  • झुंड में कमजोर और ताकतवर मुर्गियों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं रहती है. 

चूजे-मुर्गियों के झुंड में बराबरी कैसे ला सकते हैं

  • केज में नजर रखें कि सभी को फीड और पानी बराबर मिल रहा है. 
  • कम जगह में ज्यादा चूजे या मुर्गियां रखने से बचें. 
  • चूज़ों की हैल्थ और उनकी ग्रोथ की निगरानी करते रहें. 
  • पोल्ट्री फार्म में केज का तापमान जरूरत के हिसाब से बनाए रखें. 
  • ज़रूरत पड़ने पर बहुत छोटी या बहुत बड़ी मुर्गियों को एक-दूसरे से अलग कर दें. 

चोंच ट्रिमिंग क्या है और क्यों की जाती है

  • चोंच ट्रिमिंग में ऊपरी और निचली चोंच के एक छोटे से हिस्से को हटा दिया जाता है.
  • चोंच ट्रिमिंग कराने से मुर्गियां पंखों पर और दूसरी मुर्गियों पर चोंच नहीं मारती हैं. 
  • कई बार चोंच लगने से गहरी चोट लग जाती और मौत तक हो जाती है. 
  • चोंच ट्रिमिंग चोंच मारने और लड़ाई से बचाती है. 
  • चोंच ट्रिमिंग चोटों और तनाव को कम करती है. 
  • चोंच ट्रिमिंग की वजह चारे की बर्बादी कम होती है.
  • चोंच ट्रिमिंग से झुंड के आराम और चोट में राहत मिलती है. 

चोंच ट्रिमिंग कब और कैसे करें 

  • चूजों की पहली चोंच ट्रिमिंग सात से 10 दिन पर की जाती है. 
  • उसके बाद छह से 10 हफ्ते की उम्र में चोंच ट्रिमिंग की जा सकती है. 
  • जब चूजे बड़े हो जाएं तो फिर डेढ़ से दो महीने में एक बार ट्रिमिंग की जा सकती है. 
  • चोंच की ट्रिमिंग गर्म ब्लेड, इलेक्ट्रिक चोंच ट्रिमर, य इन्फ्रारेड सिस्टम से की जा सकती है.
  • मुर्गियों को दर्द-तनाव से बचाने के लिए ट्रेंड कर्मचारी से ही चोंच ट्रिमिंग करानी चाहिए. 
  • ऊपरी और निचली दोनों चोंचों का केवल एक-तिहाई हिस्सा काटा जाता है. 
  •  फीड उठाने में होने वाली परेशानी से बचाने के लिए चोंच की ज्यादा कटाई न करें. 
  • चोंच ट्रिमिंग के बाद  पीने के पानी में विटामिन A, D, E और इलेक्ट्रोलाइट्स मिलाकर दें.
  • चोंच ट्रिमिंग के बाद दो से तीन दिन तक मुर्गियों को नरम फीड ही खाने को दें. 
  • चोंच ट्रिमिंग के बाद ब्लिपडिंग और तनाव पर नजर रखें. 
  • मुर्गी तनाव में हो, वैक्सीनेशन हुआ हो और गर्म मौसम में ट्रिमिंग कराने से बचें. 

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