
ये जरूरी नहीं कि पढ़े-लिखे लोग सिर्फ बड़े शहरों में ही रहकर नौकरी करते हुए अपना जीवन व्यतीत करें. कुछ ऐसे भी युवा होते हैं, जिनकी सोच के सामने बेहतर सैलरी वाली नौकरी छोटी पड़ जाती है और वे ऐसी बेहतर नौकरी को ठोकर मारकर गांव में स्वरोजगार स्थापित करते हैं. ऐसे ही एक कैमूर जिला स्थित इसरी गांव के रहने वाले गुंजन सिंह हैं, जिन्होंने कोरोना में 30 लाख सालाना पैकेज वाली नौकरी को छोड़ कर गांव की पगडंडियों को अपनाया था. अब वे गांव में ही मत्स्य पालन से सालाना 25 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं.
कैमूर जिला निवासी गुंजन सिंह मत्स्य पालन के जरिए जिले में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. वे कहते हैं कि कोरोना के समय वे वापस घर आए थे, फिर यहां से कभी भी वापस नहीं गए. हालांकि घर से संपन्न गुंजन के पास साथ एक अच्छी सैलरी वाली नौकरी भी थी. वे बताते हैं कि नौकरी के दौरान सुकून नहीं था. मगर आज खुद के व्यवसाय में सुकून के साथ रात में एक अच्छी नींद भी आती है.
बता दें पिछले पांच साल से गुंजन सिंह मत्स्य पालन के साथ जुड़े हुए हैं. इन्होंने करीब साढ़े 6 एकड़ जमीन में मछली पालन कर रहे हैं. और इससे सालाना करीब 25 लाख रुपए से अधिक की कमाई आसानी से कर लेते हैं. साथ ही धान व गेहूं की खेती भी करते हैं.
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गुंजन सिंह बताते हैं कि वे एक निजी कंपनी में करीब 35 लाख रुपए की सालाना पैकेज की नौकरी करते थे. कोरोना काल में घर आने के बाद पिता ने गांव में ही रहकर व्यवसाय करने का आदेश दिया. काफी सोच विचार के बाद गुंजन ने मत्स्य पालन का व्यवसाय शुरू किया. आज के समय में करीब साढ़े 6 एकड़ में 5 तालाब की मदद से एक सीजन में 50 से 60 टन तक मछली का उत्पादन कर लेते हैं. आगे कहते हैं कि नौकरी के दौरान कहने को होता है कि आप 8 से 9 घंटे की नौकरी करते हैं, लेकिन 24 घंटा तनाव में रहना पड़ता है, लेकिन जब आप खुद का व्यवसाय करते हैं. तो 24 घंटा अपने अनुसार जीते हैं.
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गुंजन सिंह 'किसान तक' से बात करते हुए बताते हैं कि मछली पालन 2020 में शुरू किया था. तो उस समय कम अनुभव के चलते शुरुआत में काफी नुकसान हुआ. उसके बाद एक साल तक देश के मुख्य मछली प्रशिक्षण केंद्र में जाकर ट्रेनिंग लिया. उसके बाद एक नई सोच और प्रशिक्षण लेने के बाद मछली पालन शुरू किया. आगे बताते हैं कि अगर एक एकड़ में दस हजार फंगसियस मछली डालते हैं, तो ख़र्च करीब पांच से साढ़े पांच लाख रुपए तक लगता है. वहीं इस पर दो से ढाई लाख रुपए की कमाई हो जाती है. यह प्रक्रिया 6 महीने की है.
वे बताते हैं कि केवल 3 एकड़ फंगसियस मछली से साल के करीब 13 से 14 लाख रुपए तक की कमाई होती है. इसके साथ ही आईएमसी एवं मछली की नर्सरी से 12 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है. यानी केवल मछली पालन से साल के 25 लाख रुपए तक की कमाई होती है. इसके साथ ही धान व गेहूं की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है. और उससे भी अच्छी कमाई हो जाती है.
गुंजन कहते हैं कि मछली पालन से कमाई है, लेकिन अगर इसके पालन या बेहतर तरीके का प्रबंधन नहीं होता है, तो किसान को घाटा भी लग जाता है.वे कहते हैं कि उनके तालाब की पानी निकासी सही समय पर नहीं होने से करीब फरवरी महीने तक एक लाख से अधिक मछली के बच्चे मर गए. उन्होंने एक मछली का बच्चा करीब ढाई रुपए के आसपास खरीदा था. उसके अलावा एक लाख रुपए के आसपास रखरखाव में खर्च किए थे. कुल मिलाकर तीन लाख से अधिक का नुकसान हो गया और वह इसका मुख्य वजह ठंड के मौसम में समय से तालाब का पानी नहीं निकलना मानते हैं.
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