मोटे अनाज की खेती और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है. देशभर में इसे लेकर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. मोटे अनाज के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कई प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं. इसमें केंद्र और राज्य सरकारें भी पहल कर रही हैं. मिलेट्स के बने उत्पाद को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए और उसे लोकप्रिय बनाने के लिए उनकी प्रोसेसिंग की जा रही है और उनके नए उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. झारखंड के गुमला जिले में भी इस तरह का प्रयास शुरू किया गया है. गुमला जिले में रागी के बन रहे उत्पादों की नीति आयोग ने भी सराहना की है.
झारखंड का गुमला जिला रागी की खेती के लिए अपनी अलग पहचान रखता है. यहां पर अधिक मात्रा में किसान रागी की खेती करते हैं. वहीं अब यहां पर इसकी प्रोसेसिंग भी शुरू हो गई है. यहां पर रागी के लड्डू, केक और नूडल्स बनाए जा रहे हैं. इतना ही नहीं इनकी सप्लाई भी देश के अलग-अलग राज्यों में की जा रही है. गुमला में हो रहे इस कार्य पर मोटे अनाज की प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काम करने वाली दर्जनों कंपनी ने इस पर अपनी रुचि दिखाई है और साथ काम करने के लिए इच्छुक हैं.
झारखंड सरकार ने भी राज्य में एनेमिया से लड़ने के लिए और डायबीटीज के नियंत्रण के लिए राज्य में मिलेट की खेती और इसके उपभोग को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन की शुरुआत की है. इस मिशन के लिए राज्य सरकार ने प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये का बजट भी प्रस्तावित किया है. गौरतलब है कि गुमला जिले की भौगोलिक स्थिति यहां पर रागी और मोटे अनाज की खेती के लिए उपयुक्त है. यही कारण है कि यहां पर अधिकांश किसान मड़ुआ, मकई और ज्वार की खेती करते हैं.
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जिले में रागी की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग भी पहल कर रहा है. जिला कृषि पधाधिकारी के मुताबिक गुमला जिले में वर्ष 2022 में 8600 एकड़ जमीन में रागी की खेती की गई थी, जबकि इससे पहले साल में 4500 एकड़ में रागी की खेती की गई थी. सबसे खास बात यह है कि इसकी खेती में महिला किसानों की भागीदारी सबसे अधिक है. जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार रागी की खेती करने के लिए 4500 से अधिक किसानों को 20 हजार किलोग्राम रागी के बीज दिए गए हैं. वहीं जिले के किसानों से अब तक 65 हजार किलोग्राम रागी की खरीद सरकारी स्तर पर की गई है.
लोहरदगा जिले में जेएसएलपीएस के सहयोग से रागी की प्रोसेसिंग करने के लिए कई यूनिट लगाए गए हैं, जिसका संचालन महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं. समूह की दीदियां इससे जुड़कर रागी के उत्पाद बना रही है. इन्हें जोहार ब्रांड के तहत बेचा जा रहा है. जोहार ब्रांड के तहत बने रागी के लड्डू की खूब मांग हो रही है. गुमला जिले में रागी के बन रहे उत्पादों की सराहना नीति आयोग ने भी की है.
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