दिवंगत भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को लेकर एक बयान देकर राहुल गांधी चारों ओर से घिरते नजर आ रहे हैं. अब राहुल गांधी पर को आड़े हाथों लेते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ राहुल गांधी के आरोप कांग्रेस नेता की 'राजनीतिक समझ की कमी और उनकी झूठ की राजनीति' को उजागर करते हैं. बता दें कि हाल ही में राहुल गांधी ने बयान दिया था कि अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों के खिलाफ ना बोलने के लिए धमकाया था.
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने रविवार शाम को अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट में लिखा, "दिवंगत श्री अरुण जेटली जी का 2019 में निधन हो गया, जबकि (अब निरस्त हो चुके) कृषि कानून 2020 में पेश किए गए. इसके बावजूद राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि जेटली जी उन्हें कृषि कानूनों का विरोध न करने की धमकी देने आए थे.’’
हरियाणा के सीएम सैनी अपनी पोस्ट में आगे लिखा, "राहुल गांधी का यह बयान न केवल हास्यास्पद है, बल्कि उनकी राजनीतिक समझ की कमी और झूठ की राजनीति को भी उजागर करता है. दिवंगत नेताओं के नाम पर झूठ गढ़कर वह अपनी खोई हुई विश्वसनीयता वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं, जो बेहद शर्मनाक और निंदनीय है." सीएम सैनी ने कहा कि लोग ऐसे झूठे बयानों से गुमराह नहीं होंगे.
दरअसल, हाल ही में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दावा किया कि अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं बोलने के लिए धमकी दी थी, अन्यथा उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. राहुल गांधी ने कहा कि जब वह कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे, तो उस वक्त मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था. कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अरुण जेटली ने मुझसे कहा था कि अगर तुम इस रास्ते पर चलते रहे, सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों पर हमसे लड़ते रहे, तो हम तुम्हारे खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे. हालांकि राहुल गांधी के इस आरोप को भाजपा ने "फर्जी खबर" बताकर सिरे से खारिज किया है.
मगर ये वार-पलटवार यहीं नहीं रुका. इसको लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 2020 के कृषि कानून भाजपा सरकार के लंबे, जानबूझकर किसान विरोधी एजेंडे की परिणति हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने लिखा, "जो लोग सुबह से ही उछल-कूद कर रहे हैं, वे बैठ जाएं और सुन लें. 2020 के कृषि कानून भाजपा सरकार के एकमात्र किसान-विरोधी कानून नहीं थे. वे एक लंबे, जानबूझकर किसान-विरोधी एजेंडे की परिणति थे, जिसे भाजपा सरकार अपनी विनाशकारी नीति के तहत पका रही थी."
खेड़ा ने कहा, "पहला झटका दिसंबर 2014 में ही लगा, जब मोदी ने 2013 के भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास विधेयक को कमजोर करने का प्रयास किया. फिर 2017 में तथाकथित मॉडल कृषि उपज और पशुधन विपणन अधिनियम आया, जिससे किसानों के अधिकारों पर एक और पिछले दरवाजे से हमला हुआ." खेड़ा ने आगे लिखा कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने "इन किसान विरोधी कानूनों का पुरजोर विरोध किया था." उन्होंने दावा किया कि इसी संदर्भ में दिवंगत अरुण जेटली एक धमकी लेकर राहुल गांधी से मिलने 10 जनपथ आए थे.
(सोर्स- PTI)
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