उत्तर प्रदेश सरकार में रबी फसलों की खरीद प्रक्रिया जारी है. प्रदेश सरकार ने एक अप्रैल से गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू की है. इसके लिए प्रदेश सरकार ने सभी 75 जनपदों में 6000 सरकारी क्रय केंद्र बनाए हैं. गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू हुए 45 दिन बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश में गेहूं खरीद की पूरी प्रक्रिया बेहद ही सुस्त है. मसलन, प्रदेश सरकार अभी तक निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 3.23 फीसदी गेहूं ही खरीद सकी है.
वर्ष 2023-24 में सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य 60 लाख टन निर्धारित किया है लेकिन क्रय केंद्रों पर किसानों के ना आने से सरकार लक्ष्य से काफी पीछे है. प्रदेश में अभी तक 45 दिनों के भीतर 1.93 लाख टन गेहूं की खरीद हो सकी है, जो लक्ष्य के सापेक्ष 3.23% है. गेहूं खरीद केंद्रों पर किसानों के लिए सरकार ने कई सहुलियत भी दी है. वहीं किसानों के खराब गेहूं की खरीद के आदेश भी जारी किए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी क्रय केंद्रों से किसान की दूरी बनी हुई है.
उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ सरकार ने रबी विपणन वर्ष 2023-24 में न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति कुंतल पर एक अप्रैल 2023 से ही गेहूं की खरीद का कार्य जारी है. प्रदेश में 45 दिनों के बाद भी सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, जिसके चलते लक्ष्य के मुकाबले खरीद प्रभावित है. पिछले साल इसी अवधि में 233534.96 टन गेहूं खरीदा गया था. हालांकि पिछले साल भी लक्ष्य 60 लाख टन निर्धारित किया गया था, लेकिन 15 जून तक केवल 3.24 लाख टन गेहूं की खरीद हो सकी थी. प्रदेश के सिर्फ 7 मंडलों में ही 10000 टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है, जिनमें सर्वाधिक खरीद बुंदेलखंड के चित्रकूट और झांसी मंडल में हुई है. वहीं सबसे कम खरीद बस्ती मंडल में हुई है. पूरे प्रदेश में सबसे कम खरीद आगरा, गाजियाबाद और बागपत जिले में हुई है.
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उत्तर प्रदेश में रबी सीजन के अंतर्गत गेहूं की फसल बड़े क्षेत्रफल पर बोई गई थी, लेकिन मार्च महीने में बेमौसम बारिश के चलते फसल को भारी नुकसान भी पहुंचा है. वहीं बाजार में सरकारी क्रय केंद्र के रेट से किसानों को घर बैठे अच्छा दाम मिल रहा है, जिसके चलते किसान क्रय केंद्र पर नहीं जा रहे हैं. सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए खराब गेहूं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिना कटौती के खरीद का आदेश भी जारी कर दिया, लेकिन इसके बावजूद भी किसान क्रय केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं. खाद एवं रसद विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बाजार में गेहूं की कीमत एमएसपी से ज्यादा होने के कारण किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर आने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
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