भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां बड़ी संख्या में लोग कृषि से जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं भारत की अर्थव्यवस्था भी बहुत हद कर कृषि पर निर्भर है. ऐसे में खेती किसानी कर रहे किसानों को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो इस बात का पूरा ध्यान सरकार की ओर से रखा जाता है. लेकिन इस बात से bhi इनकार नहीं किया जा सकता कि किसान को खेती करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. किसी के पास फसल उगाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है तो कोई किसान कर्ज के तले दबा हुआ है. इसलिए किसानों को आर्थिक मदद की जरूरत है. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने देश के किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन मुहैया कराने की योजना शुरू की है.
इस कार्ड को बनवाने के कई फायदे हैं. इस कार्ड की मदद से किसानों को किसी और पर निर्भर नहीं होना पड़ता और ना ही किसी से पैसे मांगने की जरूरत होती है. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है किसान क्रेडिट कार्ड योजना और इसको बनाने का तरीका.
किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत 1998 में भारत सरकार, NABARD और RBI द्वारा एक साथ की गई थी. इस योजना के तहत किसानों को अपनी जमीन गिरवी रखकर लोन दिया जाता है, ताकि वे अपनी खेती को आगे बढ़ा सकें. किसान क्रेडिट कार्ड की यह योजना सीमित संख्या में किसानों के लिए ही लागू है. इस योजना के तहत किसानों को खेती के लिए बेहद कम ब्याज दर पर लोन दिया जाता है. पीएम किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत आने वाले किसानों को 3 लाख रुपये तक का लोन 4% की ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है.
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किसान क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद किसान 9 फीसदी ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं. वहीं, सरकार ने ब्याज पर राहत देते हुए 2 फीसदी की सब्सिडी दी है. वहीं अगर कोई किसान समय से पहले ब्याज का भुगतान करता है तो सरकार उसे अलग से 3 फीसदी की सब्सिडी देती है. यानी आपको कुल मिलाकर सिर्फ 4 फीसदी ब्याज देना होगा.
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