Success Story: धान-गेहूं की खेती छोड़ शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब लाखों में पहुंचा मुनाफा

Success Story: धान-गेहूं की खेती छोड़ शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब लाखों में पहुंचा मुनाफा

ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के सुनाबेड़ा पठार के चुक्तिया भुंजिया समुदाय के अधिकांश किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. जिसकी मदद से वो अब लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अब, वे पहले की तुलना में तीन-चार गुना अधिक कमाते हैं और उनकी सफलता ने क्षेत्र के कई अन्य लोगों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए प्रेरित किया है.

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Success Story: धान-गेहूं की खेती छोड़ शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब लाखों में पहुंचा मुनाफास्ट्रॉबेरी की खेती

स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जिसे पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है और इसका उपयोग मिल्कशेक, जेली और जैम से लेकर पेस्ट्री तक सब कुछ बनाने में किया जाता है. स्ट्रॉबेरी का रंग चमकीला होता है जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है. वहीं इसका स्वाद भी मीठा होता है. इसका उपयोग स्ट्रॉबेरी क्रीम बनाने के लिए भी किया जा सकता है. स्ट्रॉबेरी पूरी दुनिया में उगाई जा सकती है और अमेरिका दुनिया में स्ट्रॉबेरी का सबसे बड़ा उत्पादक है. स्ट्रॉबेरी रोसैसी परिवार और फ्रैगरिया जीनस से संबंधित है. स्ट्रॉबेरी सब ट्रोपिकल क्षेत्रों में उगाई जाती है. स्ट्रॉबेरी साल भर चलने वाला पौधा है और इसके नाम से पता चलता है कि इसके विपरीत, स्ट्रॉबेरी वास्तव में एक बेरी नहीं है. स्ट्रॉबेरी कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और शुगर से भरपूर होती है. जिस वजह से इसकी खेती मुनाफे का सौदा है.

इस समुदाय के किसान कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती

ऐसे में ओडिशा के नुआपाड़ा जिले के सुनाबेड़ा पठार के चुक्तिया भुंजिया समुदाय के अधिकांश किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. जिसकी मदद से वो अब लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अब, वे पहले की तुलना में तीन-चार गुना अधिक कमाते हैं और उनकी सफलता ने क्षेत्र के कई अन्य लोगों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए प्रेरित किया है.

स्ट्रॉबेरी की खेती पर स्विच करने का विचार चुक्तिया भुंजिया विकास एजेंसी (सीबीडीए) द्वारा सामने रखा गया था, जो चुक्तिया भुंजिया जनजातियों के कल्याण के लिए 1994-95 में ओडिशा सरकार की ओर से स्थापित किया गया था.

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स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सही है ठंडी जलवायु

स्ट्रॉबेरी ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ती है, और समुद्र तल से 3,000 फीट ऊपर स्थित सुनाबेडा पठार इस फसल के बिल्कुल सही है.  

कलीराम बताते हैं कि “सीबीडीए ने हमें स्ट्रॉबेरी जैसी फसलें लेने के लिए राजी किया क्योंकि हमारे इलाके की जलवायु इस फसल के लिए उपयुक्त है. सीबीडीए और बागवानी विभाग मुझे और हमारी पंचायत के दो अन्य किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती की मूल बातें सीखने के लिए महाराष्ट्र के महाबलेश्वर ले गए. ” वहां हमेन सीखा कि कैसे स्ट्रॉबेरी की सही तरीके से खेती की जाती है.

पारंपरिक खेती छोड़ कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती

महाबलेश्वर में वर्षों से स्ट्रॉबेरी की सफलतापूर्वक खेती की जा रही है, और सीबीडीए अधिकारियों के अनुसार, सुनाबेडा की जलवायु भी ऐसी ही है. कलीराम और क्षेत्र के अन्य किसान स्ट्रॉबेरी पर स्विच करने से पहले धान, बाजरा और सब्जियां जैसी पारंपरिक फसलें उगा रहे थे. कलीराम का कहना है कि पारंपरिक फसलों से वह प्रति वर्ष लगभग 70,000-80,000 रुपये से अधिक नहीं कमा पाते थे. लेकिन वहीं स्ट्रॉबेरी कर आसानी से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.

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