कृषि में रासायनिक खादों का अंधाधुंध उपयोग काफी चिंता का विषय है. इससे अधिक उपयोग से खेतों की उत्पादन क्षमता पर असर पड़ रहा है. इस से छुटकारा पाने के लिए सरकार देश में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. जिसके तहत जैविक खेती से अभी तक 16.19 लाख किसानों को जोड़ा जा चुका है. असल में इसके लिए केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग ने देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना शुरू की हुई है. आइए जानते हैं कि ये योजना क्या है और देश के कितने हिस्से में जैविक खेती की जा रही है.
सरकार द्वारा जैविक खेती को सफल बनाने का प्रयास चल रहा है. ताकि किसानों को इससे फायदा हो सके. सरकार की चलाई जा रही योजनाओं के जरिए अभी तक देश की 6.53 लाख हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के लिए उपयुक्त बनाया गया है. जिससे 16.19 लाख किसान लाभांवित हुए हैं. तो वहीं इससे 32384 क्लस्टरों को भी इसके अंतर्गत जोड़ा गया है. सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि जैविक खेती से अब ज्यादा से द्यादा किसानों को जोड़ा जाए.
केंद्र सरकार द्वारा सॉइल हेल्थ योजना की तरह ही पारंपरागत कृषि विकास योजना लाई गई है. इस योजना के तहत जैविक खेती करने के लिए किसानों को प्रतोसाहन औऱ बढ़ावा दिया जाता है. इसके अंतर्गत सरकार द्वारा किसानों को सहायता भी दी जाती है. पारंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत 2015 में रासायनिक मुक्त जैविक खेती को क्लस्टर मोड में बढ़ावा देने के लिए शुरु किया गया था. यह योजना पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विझान को जोड़ती है.
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इस योजना का मुख्य उद्देश्य़ ये है कि पार्यावरण के अनुकुल जैविक खेती कर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाना है. इसके तहत रसायन और खादों से मुक्त फसलों का उत्पादन करना है. किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोतसाहित करना है. जैविक खेती के उपज कीटनाशक मुक्त होता है. जो अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करेगा. वहीं इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी. वहीं इसका उद्देश्य यह भी है कि इसमें ग्रामिण युवाओं, किसानों, उपभोक्ताओं और व्यापारियों को भी जैविक खेती के लिए प्रतोसाहित किया जाए.
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