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ई-नाम से जुड़ने वाली मंडियों की संख्या 1389 पहुंची, 3510 एफपीओ भी जुड़े, जानिए कैसे मिल रहा किसानों को लाभ

ई-नाम से जुड़ने वाली मंडियों की संख्या 1389 पहुंची, 3510 एफपीओ भी जुड़े, जानिए कैसे मिल रहा किसानों को लाभ

राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी e-Nam केंद्र सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल बेचने के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, जहां किसान अपनी फसल को अच्छे दामों पर ऑनलाइन बेच सकते हैं. e-Nam के माध्यम से किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को एक मंच पर लाया गया है.

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ई-नाम से जुड़ने वाली मंडियों की संख्या 1389 पहुंची ई-नाम से जुड़ने वाली मंडियों की संख्या 1389 पहुंची

केंद्र सरकार के ऑनलाइन मंडी प्लेटफार्म ई-नाम (e-Nam) यानी राष्ट्रीय कृषि बाजार में देश के 1389 मंडियों को जोड़ दिया गया है. जब 14 अप्रैल, 2016 को इसकी शुरुआत हुई थी तब इसमें सिर्फ 21 मंडियां ही शामिल हुई थीं. ऐसे में समझ सकते हैं कि इस प्लेटफार्म का कितना तेजी से विस्तार हो रहा है. फिलहाल, मंडियों की बढ़ती संख्या से साफ हो रहा है कि इससे किसानों को अपने उपज का कारोबार करने में बड़ी मदद मिल रही है. साथ ही किसानों को एक बड़े दायरे में उपज बेचने में मदद मिल रही है. इसके अलावा इससे देश के 1.8 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं. वहीं, इससे 3510 एफपीओ भी जोड़े जा चुके हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे मिल रहा इससे किसानों को लाभ  

कैसे मिल रहा किसानों को लाभ

दरअसल, इस प्लेटफार्म के आने के बाद किसान और खरीदार के बीच का सीधा संबंध और गहरा हुआ है. दलालों की भूमिका काफी हद तक खत्म हो गई है. ऐसे में किसानों को मंडी और आढ़तियों के चक्कर में भटकना नहीं होगा. इसमें ध्यान इस बात का रखना होता है कि किसान अपने जिले में मंडी का पता करें. एक बार मंडी का पता चल जाएगा तो किसान ई-नाम के जरिये आसानी से अपनी उपज की नीलामी कर सकते हैं और बेच सकते हैं. ऐेसे में किसानों को फसल का उचित दाम मिल रहा है. 

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क्या है राष्ट्रीय कृषि बाजार

राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी e-Nam केंद्र सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल बेचने के लिए एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, जहां किसान अपनी फसल को अच्छे दामों पर ऑनलाइन बेच सकते हैं. e-Nam के माध्यम से किसानों, व्यापारियों और खरीदारों को एक मंच पर लाया गया है. ई-नाम पोर्टल पूरी तरह से डिजिटल पोर्टल है. इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी फसल ऑनलाइन बेच सकते हैं, इसके अलावा अपनी समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं.

बता दें कि ई-नाम पोर्टल के जरिए देश के सभी मंडियों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिया गया है, जो बिचौलियों से मुक्त है. यहां किसान अपनी फसल की दाम को तय करता है, तो वहीं देश के कोने-कोने में बैठे कारोबारी किसानों की मंजूरी के बाद बोली लगाते हैं और फसल खरीदते हैं.

ई-नाम पोर्टल का उद्देश्य

जैसा कि आप जानते हैं कि किसानों को अपनी फसल को बेचने में हमेशा समस्या होती है. किसान फसलों का उत्पादन तो कर लेते हैं, लेकिन फसल कहां बेचें यह चिंता किसानों के मन में हमेशा रहता है. हालांकि अभी तक किसानों की फसलें बिचौलियों के द्वारा खरीद कर बेची जाती थी, लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने इस पोर्टल को शुरू किया. इस पोर्टल पर फसल को बेचने के बाद पैसे सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा.