हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है बिना मिट्टी के केवल पानी का उपयोग करके खेती करना. यह एक आधुनिक खेती है, जिसमें पानी का उपयोग करके जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती है. पानी के साथ कुछ रेत या कंकड़ की भी आवश्यकता हो सकती है. इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच और आर्द्रता 80-85 प्रतिशत रखी जाती है. जल के माध्यम से भी पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं.
हाइड्रोपोनिक खेती में पाइप के माध्यम से खेती की जाती है. इनमें ऊपर से छेद किये जाते हैं और उन छेदों में पौधे लगाये जाते हैं. पाइप में पानी रहता है और पौधों की जड़ें उस पानी में डूबी रहती हैं. इस पानी में पौधे को आवश्यक हर पोषक तत्व घुल जाता है. ऐसे में इस तकनीक को बढ़ावा देने और मिट्टी पर किसानों की निर्भरता को कम करने के लिए सरकार इसपर 50 परसेंट की छूट भी दे रही है.
भारत की केंद्र और राज्य सरकारों ने हाइड्रोपोनिक्स में निवेश करने के इच्छुक किसानों के लिए निवेश लागत पर सब्सिडी दी है. लागू सब्सिडी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है. महाराष्ट्र सरकार ने पशु आहार के लिए हाइड्रोपोनिक्स अपनाने वाले किसानों को 50% सब्सिडी प्रदान की है. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने हर राज्य के लिए अलग-अलग सब्सिडी तैयार की है. इसी प्रकार, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के माध्यम से प्रत्येक राज्य के लिए अलग-अलग सब्सिडी उपलब्ध है.
ये भी पढ़ें: घर की छत पर बिना मिट्टी के करें खेती, छोटे-छोटे बैगों में ऐसे उगाएं सब्जियां
भारत में केंद्र और राज्य सरकारों ने उन किसानों के लिए खेती की लागत में छूट दी है जो हाइड्रोपोनिक्स से खेती करना चाहते हैं. इसके लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम के तहत सब्सिडी दी जाती है. महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में उन किसानों के लिए 50% सब्सिडी की घोषणा की है जो पशु चारा (hydroponic farming) बढ़ाने के लिए हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग करते हैं. इसी प्रकार, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने प्रत्येक राज्य के लिए सब्सिडी का नियम बनाया है. इन नियमों और शर्तों का पालन कर किसान हाइड्रोपोनिक्स के लिए सब्सिडी ले सकते हैं. इससे खेती की लागत कम होगी और आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
इसके लिए लोहे के मजबूत एंकल से वी आकार का ढांचा तैयार किया जाता है जो डेढ़ फुट जमीन में गड़ा हुआ और छह फुट जमीन के ऊपर होता है. 'वी' आकार की यह संरचना दोनों तरफ से 6-6 मीटर लंबी और 10 सेमी लंबी डायमीटर वाले तीन पीवीसी पाइप आमने-सामने स्थापित किए जाते हैं. इन पाइपों पर तीस सेमी. के अंतराल पर साढ़े सात सेमी . डायमीटर के छेद कीए जाते हैं. इन पाइपों के बंद सिरे की ओर जमीन में कम से कम 100 लीटर क्षमता की एक पानी की टंकी रखी जाती है, जिसके माध्यम से पाइपों में लगे पौधों को पानी दिया जाता है. इन मोटे पाइपों के निचले सिरे पर फ़नल पतले पाइपों से जुड़े होते हैं जो अतिरिक्त पानी को वापस पानी की टंकी में लौटा देते हैं. आपको बता दें इस विधि में बिजली की जरूरत होती है. ऐसे में जहां भी इस विधि का आप इस्तेमाल करना चाहते हैं वहां ध्यान रखें की बिजली की सुविधा हो.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today