भारत एक विविधताओं से भरा देश है. यहां के अलग-अलग शहर और राज्य अपनी अलग-अलग पहचान के लिए जाने जाते है. कई शहर अपने अनोखे नाम के लिए तो कई अपने खास व्यंजनों और उत्पाद के लिए जाने जाते हैं. लेकिन खास बात यह है कि कुछ राज्यों की पहचान सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर बनी हुई है. ये पहचान विदेशी पर्यटकों को यहां खींच लाती है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे. “चीनी का कटोरा” कहे जाने वाले राज्य की. ऐसे में आपको जानना चाहिए कि भारत के किस राज्य को “चीनी का कटोरा” कहा जाता है? आइए जानते हैं.
भारत में आपने अलग-अलग राज्यों के बारे में पढ़ा और सुना होगा. इस कड़ी में एक राज्य ऐसा भी है, जो कि चीनी के कटोरे के रूप में जाना जाता है. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य को चीनी के कटोरे के नाम में भी जाना जाता है.
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— Agriculture INDIA (@AgriGoI) February 14, 2024
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अब सवाल ये है कि आखिर यूपी को ही चीनी के कटोरे के नाम से क्यों जाना जाता है. दरअसल, उत्तर प्रदेश गन्ने की खेती में सबसे आगे हैं. आंकड़ों के अनुसार देश में कुल उत्पादित होने वाले गन्ना में यूपी में अकेले 44.50 प्रतिशत का उत्पादन होता है. यही वजह है कि यूपी को चीनी का कटोरा कहा जाता है.
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उत्तर प्रदेश में यदि गन्ने की खेती वाले प्रमुख शहरों की बात करें, तो सहारनपुर, बुलंदशहर, मेरठ और बरेली में प्रमुख रूप से गन्ने की खेती की जाती है. यहां पर प्रमुख रूप से गन्ने का उत्पादन होता है, लेकिन सबसे अधिक चीनी मिलें महाराष्ट्र में स्थित हैं. वहीं, भारत में कर्नाटक भी उत्पादकता के मामले में टॉप तीन राज्यों में शामिल है.
गन्ना उत्पादन के मामले में यूपी जहां सबसे आगे है तो वहीं उसके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है. जहां कुल 25.45 प्रतिशत गन्ने का उत्पादन किया जाता है और फिर कर्नाटक है जहां 10.54 प्रतिशत गन्ना का उत्पादन किया जाता है. इनके अलावा कई अन्य राज्य और भी हैं जहां बचे हुए 20 प्रतिशत गन्ने का उत्पादन किया जाता है. वहीं, गन्ना का उपयोग औषधीय तौर पर भी किया जाता है. यह कई शारीरिक बीमारियों में फायदेमंद होता है. इसका सेवन आंखों की रोशनी, सर्दी-जुकाम और कब्ज जैसे रोगों के लिए लाभदायक होता है.
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