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कृष‍ि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के ल‍िए क‍िसानों को सब्स‍िडी पर दी गईं 15.75 लाख मशीनें, आंध्र प्रदेश ने मारी बाजी 

कृष‍ि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के ल‍िए क‍िसानों को सब्स‍िडी पर दी गईं 15.75 लाख मशीनें, आंध्र प्रदेश ने मारी बाजी 

क‍िसानों को खेती के ल‍िए ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, पैडी राइस ट्रांसप्लांटर, मल्टीक्रॉप थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल और रोटावेटर जैसी मशीनों की जरूरत पड़ती है. इस जरूरत को कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) के तहत बनाए गए कस्टम हायरिंग सेंटर पूरा कर रहे हैं. 

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खेती-क‍िसानी के ल‍िए क्यों महत्वपूर्ण हैं मशीनें. खेती-क‍िसानी के ल‍िए क्यों महत्वपूर्ण हैं मशीनें.

किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए खेती से जुड़ी मशीनों की भूमिका अहम है. क्योंकि इससे उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और बीजों, उर्वरकों, सिंचाई जैसे महंगे एग्री इनपुट का सही इस्तेमाल करने में मदद म‍िलती है. यही नहीं कृषि कार्यों से जुड़े मानवीय श्रम को कम करने में भी मदद मिलती है. ज्यादा समय में होने वाला काम जल्दी हो जाता है. लेक‍िन सभी क‍िसान मशीन नहीं खरीद पाते. क्योंक‍ि उनकी आर्थ‍िक स्थ‍िति ऐसी नहीं होती. इसल‍िए केंद्र सरकार ने मशीनों के जरिए खेती को आसान बनाने की कोशिश शुरू की है. इसके तहत क‍िसान कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) से क‍िराए पर मशीन ले सकते हैं. साथ ही ज‍िन क‍िसानों के पास पैसा है वो सीएचसी खोलकर क‍िराये पर मशीन दूसरे क‍िसानों को दे सकते हैं. वर्ष 2014-15 से केंद्र ने इसके ल‍िए कृषि यंत्रीकरण उप-मिशन (SMAM) की शुरुआत की हुई है. ज‍िसका असर कई सूबों में द‍िखाई देने लगा है. 

कृष‍ि मंत्रालय की ओर से इस साल फरवरी में संसद को दी गई एक र‍िपोर्ट में बताया गया है क‍ि इस उप म‍िशन के तहत अब तक देश भर में 44,598 सीएचसी खोले गए हैं, जबक‍ि क‍िसानों को सब्स‍िडी पर 15,75,719 मशीनों की आपूर्त‍ि की गई है. इस योजना का लाभ लेने में सबसे आगे आंध्र प्रदेश रहा है, जहां पर 10598 सीएचसी खोले गए हैं और वहां के क‍िसानों को 251514 मशीनों की आपूर्त‍ि की गई है. क‍िसानों को खेती के ल‍िए ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, पैडी राइस ट्रांसप्लांटर, मल्टीक्रॉप थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल और रोटावेटर जैसी मशीनों की जरूरत पड़ती है.

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ड्रोन को म‍िलेगा बढ़ावा

सरकार ने हाल ही में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 1261 करोड़ रुपये के खर्च के साथ क‍िसानों को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए भी एक योजना को मंजूरी दी है. क्योंक‍ि ड्रोन की कीमत इतनी है क‍ि हर क‍िसान खुद खरीदकर इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. इस योजना का मकसद उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल के लिए किसानों को किराए पर ड्रोन की सेवा उपलब्ध करवाना है. इसके तहत 15000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन द‍िए जा रहे हैं. सरकार का दावा है क‍ि यह योजना किसानों को अच्छा लाभ देगी. साथ ही इससे गांवों में मह‍िलाओं को रोजगार म‍िलेगा.  

पराली मैनेजमेंट के ल‍िए क‍ितनी मशीनें 

वायु प्रदूषण के समाधान और पराली मैनेजमेंट के लिए जरूरी मशीनरी पर सब्सिडी देने के लिए भी इसी उप म‍िशन के तहत अलग योजना बनाई गई है. ज‍िसके तहत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 2018-19 से अब तक 2,95,845 मशीनें दी गई हैं. ताक‍ि क‍िसान पराली न जलाएं. सरकार का दावा है क‍ि इसकी वजह से पराली जलने की घटनाएं कम हुई हैं. इसके तहत अब तक पंजाब को सबसे ज्यादा 137407 मशीनें दी गई हैं. दूसरे नंबर पर हर‍ियाणा है जहां पर 89770 मशीनों की आपूर्त‍ि की गई है. तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश को 68421 और चौथे नंबर पर द‍िल्ली है जहां पर 247 मशीनें दी गई हैं. 

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