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आंदोलन पर उतरे जम्मू के किसान, सरकार पर आरोप- 'जमीन छिन जाए तो क्या उगाएंगे क्या खाएंगे'

आंदोलन पर उतरे जम्मू के किसान, सरकार पर आरोप- 'जमीन छिन जाए तो क्या उगाएंगे क्या खाएंगे'

कश्मीर टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2023 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने दावा किया कि उसने 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 को रद्द करने के बाद "रसूखदार लोगों" से 15.83 लाख कनाल "कब्जाई भूमि" वापस ले ली है. हालांकि, स्थानीय लोग इन दावों का विरोध करते हैं. वे कहते हैं, 'हम अपनी ज़मीन के असली मालिक हैं.'

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किसान आंदोलन (फाइल फोटो) किसान आंदोलन (फाइल फोटो)

जम्मू के आरएस पुरा के किसान अपनी चमीन छीनने के विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन किसानों में महिलाएं भी शामिल हैं. इन किसानों का आरोप है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन उनकी जमीनें छीन रहा है. किसानों का आरोप है कि उनकी जमीनें छोटी जोत की हैं, लेकिन उसे भी छीन कर प्रशासन अपने काम में ले रहा है.

अपनी ज़मीन से बेदखल और अपनी आजीविका के एकमात्र साधन से वंचित मीरान साहिब के बान सुल्तान और नंदपुर गांवों के कई किसान जम्मू-कश्मीर किसान आंदोलन, भारत किसान यूनियन जम्मू-कश्मीर इकाई, आरएस पुरा के बैनर तले एकजुट हुए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 1 मार्च, 2023 से हर दिन उनमें से कुछ मीरान साहिब में नवनिर्मित रिंग रोड पर एक फ्लाईओवर के नीचे इकट्ठा होते हैं और दिन भर धरना देते हैं और शाम को अपने घरों को लौट जाते हैं.

क्या कहते हैं किसान?

आंदोलन कर रहे किसानों ने कश्मीर टाइम्स से बात की और अपना दुखड़ा सुनाया. किसानों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मान ली जाती हैं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे. इन किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मुर्दाबाद के नारे लगाए. किसानों ने नारे में कहा- किसानों की जमीनें वापस करो, धारा 370ए वापस लाओ, किसान एकता जिंदाबाद. आरएसपुरा सेक्टर में ये किसान पिछले तीन हफ्ते से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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एक आंदोलनकारी किसान किशोर ने 'कश्मीर टाइम्स' से कहा कि वह अन्य किसानों के साथ एक मार्च से विरोध प्रदर्शन कर रहा है. किशोर ने कहा कि वे कई दिनों से विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है. उनकी मांगों पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. किसानों का आरोप है कि उनकी जमीनें जबर्दस्ती छीनी जा रही है और उसे महंगे दामों पर बेचा जा रहा है. 

कश्मीर टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2023 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने दावा किया कि उसने 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 को रद्द करने के बाद "रसूखदार लोगों" से 15.83 लाख कनाल "कब्जाई भूमि" वापस ले ली है. हालांकि, स्थानीय लोग इन दावों का विरोध करते हैं. वे कहते हैं, 'हम अपनी ज़मीन के असली मालिक हैं.'

क्या है आरोप?

किसानों का कहना है, 28 फरवरी को डिप्टी कमिश्नर कुछ पुलिसकर्मियों के साथ उनकी खेती की जमीन पर आए और उन्होंने उनके खेतों पर साइनबोर्ड लगा दिए, जिसमें दावा किया गया कि उनके खेत सरकारी भूमि हैं. उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया और जबरन बेदखल कर दिया गया. ऐसा किसानों का आरोप है. इस कदम से लगभग 50-60 किसान और उनके परिवार प्रभावित हुए हैं.

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प्रदर्शनकारियों में से एक ने कहा, “मैं बान सुल्तान में रहने वाले एक किसान का बेटा हूं और मेरी चार पीढ़ियों ने इस खेत की देखभाल की है, जो महाराजा हरि सिंह ने हमें गिफ्ट में दिया था. सरकार इस जमीन का गलत दावा कर रही है. किसान इस कदम का लगातार विरोध करते रहेंगे और जब तक सरकार इस कदम को वापस नहीं लेती है, वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.