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PM-Kisan: अपात्र क‍िसानों ने न‍िकाले 4352 करोड़, र‍िकवरी स‍िर्फ 335 करोड़ रुपये की हुई

PM-Kisan: अपात्र क‍िसानों ने न‍िकाले 4352 करोड़, र‍िकवरी स‍िर्फ 335 करोड़ रुपये की हुई

पीएम क‍िसान योजना का पैसा अब कोई अपात्र क‍िसान न ले पाए इसके ल‍िए लैंड र‍िकॉर्ड का वेर‍िफ‍िकेशन, आधार प्रमाणीकरण, ई-केवाईसी और ग्राम सभा की बैठक में लाभार्थियों की सूची का ऑडिट करने का काम अन‍िवार्य कर द‍िया गया है. अपात्र क‍िसानों की पहचान करने की ज‍िम्मेदारी राज्यों की. 

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नहीं हो पा रही अपात्रों को म‍िले पैसे की वसूली. नहीं हो पा रही अपात्रों को म‍िले पैसे की वसूली.

अपात्र क‍िसानों द्वारा ली गई प्रधानमंत्री क‍िसान सम्मान न‍िध‍ि स्कीम (PM-Kisan) की रकम की वसूली सरकार के ल‍िए मुसीबत बनती जा रही है. घोषणाएं तो बहुत हुई हैं, क‍िसानों को डराया भी गया है, लेक‍िन र‍िकवरी नाम मात्र की ही हुई है. अपात्र क‍िसान सरकार को पैसा वापस करने के ल‍िए तैयार नहीं द‍िख रहे हैं. ऐसे क‍िसानों का कहना है क‍ि सरकार ने पहले वेर‍िफ‍िकेशन करके क्यों नहीं उन्हें योजना से बाहर न‍िकाला. दूसरी ओर, अध‍िकारी भी र‍िकवरी पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे हैं. बस उनका जोर यह है क‍ि अब क‍िसी भी सूरत में अपात्रों को पैसा न म‍िले. ज‍िसके ल‍िए सरकार ने साफ न‍िर्देश दे रखे हैं. 

साल 2022 की शुरुआत में पता चला था क‍ि देश के 54 लाख अपात्रों ने 4352 करोड़ रुपये की रकम न‍िकाली थी, लेक‍िन अब तक स‍िर्फ 335 करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई है. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के अनुसार 22 मार्च 2022 तक अपात्र किसानों से सरकार मात्र 297 करोड़ रुपये ही वसूल पाई थी. जिसमें से 180 करोड़ रुपये से अध‍िक की रिकवरी अकेले तमिलनाडु सरकार ने की थी, क्योंक‍ि वहां पर इसका बड़ा स्कैम हुआ था. तब से अब तक स‍िर्फ 38 करोड़ रुपये की ही और वसूली हो पाई है. सरकार स‍िर्फ अपात्र क‍िसानों से अपील कर रही है क‍ि वो अवैध रूप से ल‍िया गया पैसा वापस जमा करवा दें, लेक‍िन उन पर वापसी के ल‍िए जोर नहीं डाल रही है. अब चुनावी सीजन में भी र‍िकवरी बढ़ने की संभावना नहीं है. क्योंक‍ि अगर अब र‍िकवरी पर जोर द‍िया गया तो नाराजगी बढ़ेगी. 

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अपात्रों को बाहर न‍िकालने के ल‍िए क्या हुआ  

योजना से अपात्र क‍िसानों को बाहर न‍िकालने के ल‍िए सरकार ने लैंड र‍िकॉर्ड का वेर‍िफ‍िकेशन शुरू कर द‍िया है. पांच फीसदी किसानों का फिजिकल वेरिफिकेशन जरूरी क‍िया गया है. आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. ई-केवाईसी जरूरी हो गई है. ग्राम सभा की बैठक में लाभार्थियों की सूची का ऑडिट करने और उसे पंचायतों में डिस्प्ले करने के भी आदेश दिए गए हैं. ताक‍ि लोगों को अपात्र क‍िसानों का पता चले. इसकी वजह से जहां पहले 11.5 करोड़ क‍िसानों को इस योजना का लाभ म‍िल रहा था वहीं पर अब लाभार्थी स‍िर्फ 8.5 करोड़ क‍िसान ही रह गए हैं. सरकार की कोश‍िश है क‍ि अब कोई भी अपात्र क‍िसान योजना का फायदा न उठा पाए. 

इन राज्यों में सबसे ज्यादा अपात्र 

  • सबसे ज्यादा 13,38,563 अपात्र किसानों ने असम में पैसा ल‍िया. 
  • तमिलनाडु में 7,61,465 अपात्र क‍िसानों ने पैसा न‍िकाला. 
  • पंजाब में 6,22,362 अपात्र च‍िन्ह‍ित क‍िए गए थे. 
  • महाराष्ट्र में 4,88,593 किसान हैं, ज‍िन्होंने अवैध रूप से पैसा ल‍िया. 
  • उत्तर प्रदेश में 3,32,786 क‍िसानों ने अपात्र रूप से पैसा ल‍िया. 

योजना में कौन हैं अपात्र 

  • भूतपूर्व या वर्तमान में संवैधानिक पद धारक, वर्तमान या पूर्व मंत्री. 
  • जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक, सांसद और मेयर.
  • केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारियों को पीएम किसान स्कीम का फायदा नहीं मिलेगा. 
  • इनकम टैक्स देने वाले किसानों को फायदा नहीं मिलेगा. वो योजना के ल‍िए अपात्र हैं. 
  • ज‍िन किसानों को 10 हजार रुपये से अधिक पेंशन म‍िलती है वो योजना में अपात्र हैं. 
  • इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट और डॉक्टर योजना के ल‍िए अपात्र हैं.

इस राज्य में हुई थी सबसे बड़ी कार्रवाई

पीएम क‍िसान योजना में अवैध रूप से पैसा निकालने वालों के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई तमिलनाडु में की गई थी. बताया गया है क‍ि यहां अपात्र किसानों के आवेदन को मंजूरी देने के लिए 123 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था. ज‍िसमें तमिलनाडु कृषि विभाग के 8 अधिकारी भी शामिल थे. राज्य के 16 जिलों में एफआईआर दर्ज की गई है. इस कार्रवाई में अपात्र लाभार्थियों से 180 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी. पीएम-किसान योजना के तहत लाभार्थी की पहचान करने तथा पोर्टल पर उनका सही और सत्यापित डेटा अपलोड करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है. 

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