कृषि उड़ान स्कीम (krishi udan scheme) के अंतर्गत सरकार बहुत जल्द देश के 21 और एयरपोर्ट को जोड़ने वाली है. इसका फायदा किसानों को अपनी कृषि उपज तेजी के साथ बाजार में पहुंचाने में मदद मिलेगी. फल और सब्जियां ऐसी पैदावार हैं जिन्हें जल्द से जल्द बाजार मुहैया नहीं कराया जाए, तो उसके खराब होने का खतरा रहता है. इससे किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ता है. किसानों को इससे राहत देने और जल्द बाजार मुहैया कराने के लिए उत्तर पूर्व, पहाड़ी और जनजातीय इलाके के 21 एयरपोर्ट्स को कृषि उड़ान योजना से जोड़ा जाएगा. कृषि उड़ान योजना ऐसी स्कीम है जिसमें किसान कम ढुलाई खर्च में कृषि उपजों को विमान से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं.
कृषि उड़ान स्कीम से 21 एयरपोर्ट को जोड़ने के लिए देश का नागर विमान मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय के साथ बात कर रहा है. दोनों की सहमति होने के बाद इन एयरपोर्ट्स को कृषि उड़ान योजना से जोड़ दिया जाएगा. जिन 21 एयरपोर्ट को कृषि उड़ान योजना से जोड़ने की तैयारी है, वे सभी देश के उत्तर-पूर्वी, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में आएंगे. इस योजना के तहत फल और सब्जियों को न केवल देश के अंदर ढुलाई की जानी है बल्कि विदेशों में भी निर्यात किया जाएगा.
इसके तहत उत्तर-पूर्वी राज्यों से फल जैसे कि नींबू, संतरा, कटहल और अंगूर की ढुलाई की जाएगी. इन राज्यों से देश के अंदरूनी हिस्सों के अलावा विदेशों में जैसे जर्मनी, इंग्लैंड, सिंगापुर और फिलीपींस में भी फलों की सप्लाई भेजी जाएगी.
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सरकार ने अक्टूबर 2021 में कृषि उड़ान स्कीम 2.0 की शुरुआत की थी जिसका मकसद उत्तर-पूर्व, पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में पैदा होने वाली कृषि उपज जो जल्दी खराब होने वाली है, उसकी ढुलाई कम समय में की जा सके. इस स्कीम का असली उद्देश्य फलों और सब्जियों को कम से कम समय में बाजार तक पहुंचाना है ताकि किसानों को कोई घाटा नहीं उठाना पड़े. इसके अंतर्गत चलने वाले विमान को सरकार की तरफ से छूट मिलती है. यहां तक कि ढुलाई का खर्च भी कम आता है.
कृषि उड़ान स्कीम में सरकार का एएआई यानी कि एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया कार्गो विमानों के लैंडिंग चार्ज, पार्किंग चार्ज, टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग चार्ज और रूट नेविगेशन फैसिलिटी चार्ज माफ कर दी जाती है. इससे किसानों की ढुलाई सस्ती हो जाती है. चार्ज में छूट भारतीय विमान कंपनियों और पी2सी यानी कि पैसेंजर-टू-कार्गो विमानों पर दी जाती है.
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इस योजना में मुख्य रूप से अन्य क्षेत्रों में 28 हवाई अड्डों के अलावा उत्तर पूर्वी, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों में पड़ने वाले लगभग 25 हवाई अड्डे शामिल हैं. कृषि उड़ान 2.0 शुरू होने के बाद कुल 58 हवाई अड्डों में पांच और हवाई अड्डों को शामिल किया गया है. आगे इसमें और भी 21 हवाई अड्डे शामिल करने की तैयारी है.
शुरू में 6 महीने की पायलट परियोजना में 53 हवाईअड्डों को शामिल किया गया था. इसके बाद समीक्षा के दौरान 05 और हवाई अड्डों को जोड़ा गया. इस प्रकार कुल 58 हवाईअड्डों को शामिल किया गया. इन हवाई अड्डों में आदमपुर, अगरतला, अगत्ती, आगरा, अमृतसर, बागडोगरा, बरेली, भुज, भुंतर, चंडीगढ़, कोयम्बटूर, देहरादून, डिब्रूगढ़, दीमापुर, गग्गल, गोवा, गोरखपुर, हिंडन, इंफाल, इंदौर, जैसलमेर, जम्मू, जामनगर, जोधपुर, जोरहाट, कानपुर, कोलकाता, लेह, लेंगपुई, लीलाबारी, नासिक, पकयोंग, पंतनगर, पठानकोट, पटना, पिथौरागढ़, पोर्ट-ब्लेयर, प्रयागराज, पुणे, रायपुर, राजकोट, रांची, रूपसी, शिलांग, शिमला, सिलचर, श्रीनगर, तेजपुर, तेजू, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, वाराणसी, विशाखापत्तनम, बेलगावी, भोपाल, दरभंगा, जबलपुर और झारसुगुड़ा हैं.
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