G20 summit: जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में क्या हुआ? 

G20 summit: जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में क्या हुआ? 

G20-Agriculture Working Group: खेती और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी वैश्व‍िक चुनौत‍ियों और उसके समाधान पर जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक में सदस्य देशों ने सामूह‍िक रूप से आगे बढ़ने पर जोर द‍िया. जलवायु अनुकूल खेती करने पर क‍िसानों को म‍िल सकता है आर्थ‍िक प्रोत्साहन. 

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G20 summit: जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में क्या हुआ? जी-20 में कौन-कौन से देश शाम‍िल हैं (Photo-Om Prakash).

इस साल 9-10 सितंबर को द‍िल्ली में होने वाले जी-20 श‍िखर सम्मेलन की कमान भारत के हाथ में है. इस शक्तिशाली मंच के जर‍िए इसके सदस्य देश म‍िलकर काम करने का एजेंडा तय करेंगे. इसी कड़ी में इसके सदस्य देशों के कृष‍ि से जुड़े प्रत‍िन‍िध‍ियों ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में तीन द‍िन तक खेती-क‍िसानी से जुड़े व‍िभ‍िन्न पहलुओं पर 13 से 15 फरवरी तक मंथन क‍िया. ज‍िसमें जलवायु पर‍िवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसे ऐसे मुद्दों पर बात की गई जो पूरी दुन‍िया के ल‍िए चुनौती बने हुए हैं. जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप (G20-Agriculture Working Group)  की बैठक में भारत ने मुख्य तौर पर चार मुद्दों पर सदस्य देशों के साथ बात की.  

इनमें खाद्य सुरक्षा और क्लाइमेट चेंज (Climate Change) का एग्रीकल्चर पर असर के अलावा ड‍िज‍िटल एग्रीकल्चर और छोटे क‍िसानों को उत्पादन तक ही सीम‍ित न रखकर वैल्यू चेन से जोड़ने का मुद्दा भी शाम‍िल हुआ. ज‍िन पर सदस्यों के प्रत‍िन‍िध‍ियों ने भी अपने देश में हो रहे कामकाज की जानकारी साझा की. इन सभी पर कम से कम जी-20 के सदस्य देश म‍िलकर आगे बढ़ने और काम करने की अप्रोच रख रहे हैं. हालांक‍ि, इन सबके बीच एक बात स्पष्ट है क‍ि इन देशों से इस मंच पर जीएम फसलों यानी जेन‍िट‍िकली मोड‍िफाइड क्रॉप्स पर कोई बातचीत नहीं हुई. हालांक‍ि, भारत ने मोटे अनाजों को प्रमोट करने पर व‍िशेष जोर द‍िया.   

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फूड स‍िक्योर‍िटी को लेकर‍ इनस‍िक्योर‍िटी

केंद्रीय कृष‍ि सच‍िव मनोज आहूजा ने बताया क‍ि खाद्य सुरक्षा और पोषण जी-20 देशों के ल‍िए अहम व‍िषय हैं. साल 2018 के बाद पूरी दुन‍िया में फूड स‍िक्योर‍िटी को लेकर‍ इनस‍िक्योर‍िटी देखने को म‍िलने लगी है. यह सबके ल‍िए च‍िंता का व‍िषय है. इसमें जी-20 समूह क्या योगदान दे सकता है इस पर चर्चा हुई है. साल 2030 तक देश जीरो हंगर श्रेणी में आ जाएगा...ऐसा लक्ष्य है, लेक‍िन ऐसा होगा कैसे. इस पर सभी देशों ने अपने व‍िचार रखे. भारत की तरफ से यह भी बताया गया क‍ि कैसे 80 करोड़ लोगों को कोव‍िड के समय मुफ्त अनाज द‍िया गया.  

इंदौर में आयोज‍ित जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक (Photo-Ministry of Agriculture).

जलवायु पर‍िवर्तन से खेती को बचाने की चुनौती 

दूसरी बड़ी चुनौती क्लाइमेट चेंज की है. खेती पर इसके प्रभाव के बारे में भारत ने अपने अनुभव साझा किए. भारत में देख रहे हैं क‍ि वर्षा का पैटर्न चेंज हो रहा है. हीट वेब आ रहे हैं. व‍िश्च स्तर पर भी इस प्रकार के क्लाइमेट‍िक चेंज हो रहे हैं. उसका कृष‍ि पर क्या प्रभाव है. कैसे हम इसके दुष्प्रभाव से कृष‍ि और छोटे क‍िसानों को बचा सकते हैं. कैसे प्रोडक्टिविटी बचा सकते हैं. इसे लेकर सभी देशों ने अपने-अपने आइड‍िया साझा क‍िया है. भारत बदलते पैटर्न के ह‍िसाब से खेती के ल‍िए प्लान तैयार कर रहा है. 

क‍िसानों को वैल्यूचेन से जोड़ने पर जोर 

आहूजा ने कहा क‍ि अब हम क‍िसानों को स‍िर्फ उत्पादन तक सीम‍ित नहीं रखना चाहते हैं. बल्क‍ि छोटे क‍िसानों को वैल्यू चेन से जोड़ने की द‍िशा में आगे बढ़ रहे हैं. ताक‍ि उनकी आय बढ़े. साथ ही खाद्यान्न की बर्बादी रोकने पर भी बातचीत हुई क‍ि इस व‍िषय पर कौन देश क्या काम कर रहा है. साथ ही ड‍िज‍िटल कृष‍ि को कैसे बढ़ाया जाए और इससे क‍िसानों को क्या-क्या फायदा म‍िल सकता है, इस पर बात हुई. 

जलवायु अनुकूल खेती पर प्रोत्साहन 

केंद्रीय कृष‍ि सच‍िव ने कहा क‍ि किसानों के बीच पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने में मदद के ल‍िए जी-20 के सदस्यों ने जलवायु वित्त बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया है. सदस्यों ने ऐसा महसूस किया कि जलवायु फाइनेंश‍िंग बढ़ाने के लिए एक वातावरण बनाने की जरूरत है. यदि किसान जलवायु अनुकूल खेती या हरित कृषि अपना रहे हैं, तो उन्हें प्रोत्साहित किया जा सकता है. इनमें से एक तरीका कार्बन क्रेडिट का है. 

कहां होगी अगली बैठक 

जी-20 कृषि कार्यसमूह की पहली बैठक खत्म हुई है, जबक‍ि अगली बैठक चंडीगढ़, वाराणसी और हैदराबाद में होगी. इन बैठकों में सदस्य देशों के अलावा 10 और देशों के प्रत‍िन‍िध‍ि भी आमंत्रित क‍िए जाएंगे. पहली बैठक में भी ऐसा ही क‍िया गया था. जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.

 

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