इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल और यूट्यूब चैनल किसान तक का महासम्मेलन चल रहा है. इस कार्यक्रम के एक सत्र 'खेती का दशक - उम्मीद की उड़ान' में केंद्र सरकार की ड्रोन दीदी और लखपति दीदी योजनाओं से लाभान्वित महिलाओं ने इसमें भाग लिया. इस दौरान इन महिला किसानों ने साझा किया कैसे इन दो महत्वपूर्ण योजनाएं ने उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किया. इस सत्र में FPO डायरेक्टर नीलम त्यागी, लखपति दीदी कविता चौधरी, ड्रोन दीदी सबीना ख़ातून और मंजू रानी ने हिस्सा लिया.
किसान तक समिट 2024 देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
इस सत्र में FPO डायरेक्टर नीलम त्यागी ने कहा कि मेरे दादा जी बचपन में मुझसे कहा करते थे कि तुम बहुत अच्छा बोलती हो, मैं तुम्हें रेडियो पर सुनना चाहता हूं और टीवी पर देखना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि FPO की निदेशक बनने के बाद आज मैं बहुत अच्छा महसूस करती हूं, जब महीने में एक-दो बार ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा बनती हूं.
एक महिला के तौर पर FPO डायरेक्टर बनने पर नीलम त्यागी ने कहा कि कोई भी सफलता अकेले की नहीं होती, उसमें पूरे परिवार का योगदान होता है. इसी तरह हमने भी इसी थीम पर काम शुरू किया कि किसान खेत में फसल पैदा करे, महिलाएं उसे प्रोसेस करें और उनके बच्चे उसकी मार्केटिंग करे. नीलम त्यागी ने कहा कि FPO बहुत बड़ा क्षेत्र है. अभी हमारे पास बहुत छोटे-छोटे किसान हैं, बड़े 50 और 100 बीघे वाले किसान कम हैं. छोटे किसान ना तो मशीनरी खरीद सतके हैं और ना ही बीज खरीदने में सक्षम है.
FPO डायरेक्टर नीलम त्यागी ने कहा कि छोटे किसान जब मार्केट में जाता है तो भी उसे परेशानी होती है. ऐसे में FPO एक ऐसा मंच है जिसने किसानों की इन समस्याओं का समाधान किया है. इसलिए हमने एक परिवार की तरह, जिसमें कम से कम 100 सदस्य एक मिलकर उस FPO में खेती से जुड़े ये सारे काम करते हैं. नीलम त्यागी ने कहा कि पहले किसान का पूरा परिवार एक साथ खेती का काम करते थे, लेकिन अब ना बच्चे खेत पर जाते हैं और ना ही महिलाएं. सब लोग नौकरी और बिजनेस के लिए शहर भाग रहे हैं. FPO डायरेक्टर ने कहा कि नौकरी लेने ना जाएं, नौकरी देने वाले बनें. खेती में बहुत रोजगार है और ना ही ये घाटे का सौदा है.अगर पूरा परिवार मिलकर करे और सरकारी स्कीमों का फायदा लिया जाए तो इसमें बहुत मुनाफा है.
इस सत्र में लखपति दीदी कविता चौधरी ने बताया कि किस नुस्खे की बल पर वह लखपति दीदी बन गई. कविता चौधरी ने बताया उन्हें शुरू से ही खाना बनाने का बहुत शौक था, घर में सब्जी पैदा करने का बहुत शौक था. हम छोटे से किसान थे और शादी हो गई. एक बार कृषि विज्ञान केंद्र वाले हमारे गांव में आए तो पता चला कि कैसे जैविक खेती कर सकत हैं. फिर हमने ससुर जी से एक बीघा जमीन अलग करवाकर उसमें सब्जी उगानी शुरू की. इसमें केवल गोबर का खाद डालते थे. इस खेत में बहुत ही अच्छी सब्जी पैदा हुई और इसे देखकर ब्लॉक वालों ने हमारे यहां समूह बानाए. इस सूमह के लिए पीएम की ओर से पैसा आया और फिर गांव में कैंटीन का प्रस्ताव आया. कविता चौधरी ने आगे बताया कि जैसे ही ये प्रस्ताव आया तो हमने इस मौके को भुना लिया और गांव में कैंटीन शुरू कर दी.
इस दौरान कविता चौधरी ने बताया कि गांव में ये बदलाव आया है कि अब हर महिला लखपति दीदी बनना चाहती है. कोई महिला गोबर का काम करती है, कोई पिसाई का काम करती है, कोई सब्जी उगा रही है तो कोई फूल की खेती कर रही है, इस तरह से सभी महिलाओं में होड़ लगी है. जबकि पहले गांव की कोई महिला कभी घर से बाहर नहीं निकलती थी. क्योंकि हमारा समशेर गांव बहुत छोटा है.
लखपति दीदी सेशन में अयोध्या से आईं सबीना खातून ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना था जिसमें उन्होंने महिलाओं को ड्रोन देने की बात कही थी. इसके अलावा हम किसान भवन में जाकर भी ड्रोन के बारे में जानकारी लेते थे. मुझे हमेशा कुछ नया सीखने की दिलचस्पी रहती है. इसके बाद मैंने ड्रोन चलाने के लिए एक कंपनी से संपर्क किया. सबीना खातून ने बताया कि मैंने अपने साथ में 5 और महिला किसानों को भी ड्रोन दिलाने के लिए आवेदन कराया. प्रोग्राम में एक और ड्रोन दीदी मंजू रानी ने कहा कि जब किसान तक चैनल का उद्घाटन हुआ था तो उस प्रोग्राम में वह किसान बनकर आई थीं.लेकिन आज वह किसान तक के सेशन में गेस्ट बनकर आई हैं.
सबीना खातून ने आगे बताया कि हमारे यहां तो लड़कियों का घर से निकलना ही मुश्किल होता है. लेकिन जब मैंने काम करना शुरू किया तो लोगों ने मुझे बहुत ताने मारे मगर मैंने सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया और अब हालात ये हैं कि मेरे क्षेत्र के लोग मुझे अब 'आयरन लेडी के नाम से जानते हैं'. सबीना ने बताया कि वह अपने जिले की पहली उत्कृष्ट महिला किसान हैं, उनके साथ कम से कम 1300 महिलाएं काम करती हैं.
इस सत्र में गाजियाबाद की रहने वाली मंजू रानी ने कहा कि वे मुख्य तौर पर मछलीपालन का काम करती हैं. इसमें उन्हें 'पीएम मत्स्य पालन योजना'का लाभ मिला है. उन्होंने केंद्र सरकार की योजना से सब्सिडी का लाभ उठाया है. मंजू रानी मछली पालन के साथ ही सिंघाड़े की भी खेती करती हैं. मंजू रानी ने बताया कि 'पीएम संपदा योजना' के तहत 10 लाख की सब्सिडी मिलती है जिसका 60 प्रतिशत महिलाओं को और 40 प्रतिशत पुरुषों को दिया जाता है, उस सब्सिडी योजना का लाभ उठा चुकी हूं. मंजू रानी ने कहा कि वे मछली पालन के अलावा तालाब के किनारे अमरूद की खेती करती हैं. एक पौधा 150-200 किलो फल दो साल में देता है और बाजार में 160 रुपये किलो तक बिकता है. इससे लखपति बनने का सुनहरा मौका है.
मंजू रानी ने कहा कि वे मछली पालन के अलावा तालाब के किनारे अमरूद की खेती करती हैं. एक पौधा 150-200 किलो फल दो साल में देता है और बाजार में 160 रुपये किलो तक बिकता है. इससे लखपति बनने का सुनहरा मौका है. मंजू रानी ने बताया कि हम तालाब के किनारे सब्जी की खेती भी कर सकते हैं. मंजू पानी में घुसकर पहले साधारण पंप से स्प्रे करती थीं, लेकिन उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से ड्रोन दीदी योजना के तहत मंजूरी मिलने से जल्द ही ड्रोन मिलने वाला है. मंजू रानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद रहा तो वे जल्द ही ड्रोन दीदी बन जाएंगी.
Kisan Tak Summit 2024 के स्पॉन्सर उत्तर प्रदेश सरकार (स्टेट पार्टनर), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (बैंकिंग पार्टनर), स्टारएग्री (वेयरहाउस पार्टनर), धानुका एग्रीटेक लिमिटेड (एसोसिएट पार्टनर), इफको, यारा, एमएमएल हैं. प्रोग्राम का नॉलेज पार्टनर आईसीएआर.
ये भी पढ़ें-
किसानों की रचनात्मक खबरें दिखाने के लिए 'किसान तक' को दिल से धन्यवाद- कृषि मंत्री शिवराज सिंह
महिलाओं में खेती की लालसा बढ़ी है, अगले कुछ सालों में करोड़पति महिला किसान दिखेंगी
महिला किसानों के लिए खास डिजाइन वाला ट्रैक्टर तैयार, बस बाजार में उतरना बाकी
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today