
इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल और यूट्यूब चैनल किसान तक के पहले सत्र खेती का दशक-दस का दम में विशेषज्ञों ने खेती-किसानी में मशीन और तकनीक पर अपने विचार रखे. इसमें 'कैसे होंगे भारत में कृषि के 10 बरस' टॉपिक पर बात की गई. इस प्रोग्राम में कुल तीन पैनलिस्ट रहे जिनमें डॉ. केके सिंह, वीसी सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. एके सिंह , रानी लक्ष्मी बाई सेंट्रल यूनिवर्सिटी, झांसी और सुरेश कुमार मल्होत्रा, वीसी महाराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी, करनाल शामिल थे. पहला सवाल डॉ. एके सिंह से पूछा गया कि कृषि तकनीक के फायदे किसानों तक क्यों नहीं पहुंचते. इस बारे में डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि जिस तरह की सिफारिश की जाती है, वह किसानों तक नहीं पहुंच पाती क्योंकि इसके पीछे आर्थिक और सामाजिक कारण हैं क्योंकि सबकुछ होने के बावजूद किसान इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते.
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किसानों के लिए खेती का अगला दशक कैसा होगा, इसके जवाब में डॉ. सिंह ने कहा कि इस बार बुंदेलखंड में इतनी बारिश हुई कि उड़द और तिल की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. ऐसे में हमें फसलों का बड़ा नुकसान देखने को मिला. इसी में मूंगफली की फसल ने अच्छा रिजल्ट दिया. इस तरह हमें इस बात पर फोकस करना होगा कि कौन सी फसल मौसम के लिए सहनशील होंगी और उपज देंगी. कौन सी प्रजातियां सूखे का सहन कर सकती हैं, कौन सी प्रजातियां हैं जो बारिश का सहन कर सकती हैं. टेक्नोलॉजी विकास के क्षेत्र में लगातार काम करने की जरूरत है. जल संरक्षण जरूरी है, सिंचाई में पानी का सही उपयोग हो. सिंचाई के साधन का सही उपयोग हो. किसान पानी का सदुपयोग करें. अगला 10 साल पानी के संरक्षण पर केंद्रित होगा. किसानों को पानी को लेकर जागरूर होना पड़ेगा.
प्रोग्राम में डॉ. केके सिंह ने कृषि मशीनरी पर विचार रखते हुए एक बड़ी बात ये बताई कि महिलाओं के लिए खास तरह का ट्रैक्टर डिजाइन किया गया है जिसे जल्द मार्केट में उतारा जाएगा. इससे महिला किसानों को बहुत लाभ मिलेगा. हरियाण और पंजाब में सबसे अधिक कृषि मशीनरी का उपयोग होता है, क्या अन्य राज्यों में भी इसका उपयोग बढ़ेगा. इसके बारे में उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में भी तकनीकी जा रही है. आजकल 15-20 एचपी के भी ट्रैक्टर बनाए जा रहे हैं. कृषि मशीनरी का फायदा अब सबको मिल रहा है.
डॉ. केके सिंह ने कहा कि अब देश में ही कृषि की तकनीक और उपकरण बनाए जा रहे हैं. किसानों को पराली से निजात दिलाने के लिए तकनीक का उपयोग हो रहा है. इसमें मशीनों का उपयोग बढ़ रहा है. पराली प्रबंधन में मशीनें अधिक उपयोग हो रहा है. देश में अभी 40 प्रतिशत मशीनीकरण है जिसे तेजी से बढ़ाया जा रहा है. इसमें कस्टम हायरिंग सेंटर अच्छा काम कर रहे हैं. मशीनों में लागत कम करना जरूरी है. इसी क्रम में उन्होंने बताया कि महिला किसानों के लिए खास तरह के ट्रैक्टर की मांग बहुत पहले से थी जिसमें सफलता हासिल हो गई है. इस ट्रैक्टर का डिजाइन और मॉडल तैयार कर लिया गया है. बस इसे इंडस्ट्री में जाना बाकी है.
पैनल में शामिल एसके मल्होत्रा ने कहा, मिलेट्स को काफी बढ़ावा दिया जा रहा है. क्या अगले एक दशक में इसे और भी बढ़ावा दिया जाएगा. इसका जवाब देते हुए डॉ. एसके मल्होत्रा ने बताया कि मिलेट्स अपना पुराना अनाज है. उन्होंने कहा कि मैंने सरकार को इसके बारे में बताया कि हमें मिलेट्स का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाना चाहिए, मोटे अनाज की खेती कम पानी में भी हो सकती है इसलिए इसे प्रमोट करने की जरूरत है, इसके कई शारीरिक फायदे भी हैं. मिलेट्स एक अदभुत फसल है. इसके कई प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. साथ ही देश में इसकी खेती का रबका भी बढ़ा है.
डॉ. एसके मल्होत्रा ने बताया कि मोटे अनाज को पूरे विश्व में बढ़ावा देने के लिए नेशनल मिलेट मिशन की शुरुआत की गई है. इसे बढ़ावा देने के लिए 11 हजार FPO बनाए जाएंगे. इससे अगले 10 साल में कई रोजगार और इंडस्ट्री की शुरुआत होगी. साथ ही इससे जुड़े कई स्टार्टअप की भी शुरुआत हुई है.
Kisan tak summit 2024 के स्पॉन्सर उत्तर प्रदेश सरकार (स्टेट पार्टनर), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (बैंकिंग पार्टनर), स्टारएग्री (वेयरहाउस पार्टनर), धानुका एग्रीटेक लिमिटेड (एसोसिएट पार्टनर), इफको, यारा, एमएमएल हैं. प्रोग्राम का नॉलेज पार्टनर आईसीएआर.
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