गेहूं और आटे का भाव नहीं बढ़ने देगी सरकार, स्टॉक लिमिट लगाने पर भी हो सकता है विचार

गेहूं और आटे का भाव नहीं बढ़ने देगी सरकार, स्टॉक लिमिट लगाने पर भी हो सकता है विचार

2024 में विधानसभा चुनाव है और उससे पहले सरकार खुले बाजार में गेहूं और आटे का भाव बढ़ा हुआ नहीं देखना चाहती. इससे सरकार की किरकिरी हो सकती है. इसलिए दाम को काबू में रखने के लिए सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है जिसमें स्टॉक लिमिट लगाना भी शामिल है.

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गेहूं और आटे का भाव नहीं बढ़ने देगी सरकार, स्टॉक लिमिट लगाने पर हो सकता है विचारगेहूं के भाव नियंत्रण में रखने के लिए सरकार कई विकल्पों पर विचार कर रही है

सरकार गेहूं और आटा के दाम को काबू में रखने के लिए हर तरह की कोशिश कर रही है. उन सभी विकल्पों पर गौर किया जा रहा है जिनसे दाम को नियंत्रण में रखा जा सके. इसमें एक विचार स्टॉक लिमिट निर्धारित करने का भी है ताकि गेहूं और आटा की कालाबाजारी पर अंकुश लग सके. अकसर ऐसा देखा जाता है कि व्यापारी खाद्य जींसों की कालाबाजारी कर बाजारों में रेट बढ़ा कर फायदा उठाते हैं. लेकिन सरकार इस बार पैनी निगाह रख रही है क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. उस दौरान गेहूं और आटे की महंगाई होगी या किसी तरह की किल्लत होगी तो सरकार की बहुत किरकिरी होगी. इससे बचने के लिए सरकार हर तरह के विकल्पों पर गौर कर रही है.

इस साल के शुरू में गेहूं और आटे का भाव तेजी से बढ़ा था जिसे रोकने के लिए सरकार ने अपने बफर स्टॉक से अनाज को खुले बाजारों में बेचा. इससे कीमतों में सुधार देखा गया है. इसके अलावा, गेहूं की नई आवक मंडियों और बाजारों में शुरू हो गई है जिससे दाम घटाने में मदद मिली है. एक अधिकारी ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि गेहूं-आटा के दाम स्थिर रहें और गेहूं के निर्यात बैन में भी कोई छूट न दी जाए. गेहूं की सरकारी खरीद समाप्त होने के बाद भी निर्यात प्रतिबंधों में ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है.

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी

सरकार ने पिछले मई महीने में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. हालांकि कुछ परिस्थितियों में ढील दी गई थी जिसमें खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखा गया था. अगर किसी देश में खाद्य सुरक्षा का मुद्दा है और वहां की सरकार भारत सरकार से गेहूं मांगती है, तो उस निर्यात को चालू रखा गया है. 

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भारत सरकार देश में गेहूं और आटा की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए क्या कोशिश कर रही है, इस बारे में जानने के लिए केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल के बयान को सुना जा सकता है. गोयल ने अभी हाल में कहा था कि सरकार देसी बाजारों में गेहूं की अधिक से अधिक सप्लाई बनाए रखना चाहती है. एक बार जब गेहूं की सरकारी खरीद पूरी हो जाएगी तो उम्मीद है कि महंगाई भी नियंत्रण में आ जाएगी. ऐसे में जरूरी है कि गेहूं पर लगे निर्यात प्रतिबंध को जारी रखा जाए.

240 लाख टन गेहूं की खरीद पूरी

इस बीच एक खुशखबरी ये है कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) और सरकारी एजेंसियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अब तक 240 लाख टन गेहूं की खरीद पूरी कर ली है. केंद्र को उम्मीद है कि यह आंकड़ा 300 लाख टन तक जा सकता है. एक सूत्र ने कहा कि गेहूं की यह मात्रा देश की जरूरत के लिए पर्याप्त होगी और जरूरत पड़े तो गेहूं को बाजार में ओपन सेल के लिए उतारा जा सकेगा. महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए खाद्य मंत्रालय ने जुलाई से हर तिमाही सरप्लस गेहूं को बाजार में ओपन सेल में उतारने का फैसला किया है.

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एफसीआई के पास 285 लाख टन स्टॉक

एक मई तक का आंकड़ा बताता है कि देश में एफसीआई के पास 285 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जबकि सरकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा स्कीम या पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के लिए सालाना 184 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है. हाल के दिनों में देखें तो गेहूं की महंगाई बढ़ी थी लेकिन उसमें धीरे-धीरे गिरावट आ रही है. फरवरी में गेहूं की खुदरा महंगाई दर जहां 25.37 परसेंट होती थी, वहीं मार्च में यह घटकर 19.9 परसेंट पर आ गई. जून 2022 से यह महंगाई दर दोहरे अंकों में चल रही है.

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