सरकार ऐसे फॉर्मूले पर काम कर रही है जिससे बागवानी फसलों के किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले और ग्राहकों को भी इसे खरीदने के लिए अधिक महंगाई का सामना नहीं करना पड़े. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को एक ऑफिशियल कमेटी बनाने की घोषणा की है. यह कमेटी बागवानी उत्पादों के लिए किसानों को मिलने वाली कीमत और उपभोक्ताओं द्वारा चुकाए जाने वाले मूल्य के बीच के अंतर को कम करने के उपाय सुझाएगी.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों को बागवानी उत्पादों पर जो मूल्य मिलता है और उपभोक्ता उत्पाद के लिए जिस मूल्य का भुगतान करते हैं, उसमें बहुत बड़ा अंतर है. वार्षिक रबी सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बातें कही. ऑफिशियल कमेटी केंद्र और राज्यों द्वारा खराब होने वाली वस्तुओं की ट्रांसपोर्ट कॉस्ट साझा करने की संभावना पर विचार करेगी. शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के कृषि मंत्रियों और अधिकारियों से भी सुझाव देने की अपील की है.
हाल ही में आरबीआई ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार अगर कोई उपभोक्ता टमाटर, प्याज और आलू खरीदता है तो किसानों को उस कीमत का केवल क्रमश: 33.5 प्रतिशत, 36 प्रतिशत और 37 प्रतिशत हिस्सा ही मिलता है. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि राज्यों की ओर से दिए गए वैध सुझावों पर एक्शन लिया जाएगा और राज्यों को इसकी जानकारी भी दी जाएगी. यह कोई सालाना कार्यक्रम नहीं है, जिसमें कोई बोलकर निकल जाता है.
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वार्षिक रबी सम्मेलन के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक की केवीके को लेकर एक और जिम्मेदारी बढ़ा दी. उन्होंने हर केवीके से जिले में होने वाली गतिविधियों के बारे में केंद्र और राज्य सरकार को मासिक रिपोर्ट भेजने को कहा है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि केवीके जमीनी स्तर से रिपोर्ट तैयार कर भेजेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्यों से केवीके पर ज्यादा ध्यान देने की अपील की और कहा कि केवीके किसानों तक तकनीक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने केवीके पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार ने 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 341.55 मिलियन टन (एमटी) खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इसमें खरीफ सीजन से 161.37 मिलियन टन, रबी सीजन से 164.55 मिलियन टन और ग्रीष्मकालीन फसलों से 15.63 मिलियन टन उत्पादन शामिल है.
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