रबी सीजन की बुवाई की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन, नई फसलों के अंकुरण में मददगार उर्वरक डीएपी की बिक्री में तेज गिरावट दर्ज की गई है. देशभर के किसान रबी में गेहूं, सरसों, चना समेत अन्य फसलों की बुवाई के वक्त डीएपी (डाइ अमोनियम फॉस्फेट) खाद का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, इस बार डीएपी की बिक्री में 50 फीसदी से अधिक की कमी दर्ज की गई है. बता दें कि पिछले सप्ताह रबी सम्मेलन में खाद की कमी बड़ा मुद्दा बनी थी.
अक्टूबर में रबी सीजन की फसलों की बुवाई शुरू होने से पहले सितंबर में ही किसान डीएपी की खरीद कर लेते हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार सितंबर महीने में डीएपी खाद की बिक्री 2022 में 11.15 लाख टन दर्ज की गई थी. जबकि, उससे पहले 2021 में 5.96 लाख टन, 2020 में 7.65 लाख टन और 2019 में 6.33 लाख टन बिक्री दर्ज की गई थी. जबकि, सितंबर 2023 में 15.7 लाख टन डीएपी की बिक्री हुई थी. इस बार सितंबर 2024 में केवल 7.76 लाख टन बिक्री ही दर्ज की गई है. इस हिसाब से इस बार डीएपी की बिक्री में 51 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है.
डीएपी की बिक्री में गिरावट के साथ ही एमओपी, कॉम्पलेक्स उर्वरकों की मांग में भी कमी आई है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर 2024 में एमओपी की बिक्री 2.36 लाख टन से 4.7 फीसदी घटकर 2.25 लाख टन रह गई और कॉम्प्लेक्स (एनपी पोषक तत्व) की बिक्री 18.77 लाख टन से 11.6 फीसदी घटकर 16.6 लाख टन रह गई है. हालांकि, यूरिया की बिक्री 3.1 फीसदी बढ़कर 30.89 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले 29.97 लाख टन थी, लेकिन
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार कृषि वैज्ञानिक एके सिंह ने कहा कि किसान आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर में बुवाई के लिए खेत तैयार करने के लिए डीएपी खरीदते हैं. अनुकूल मानसून और इसकी देरी से जाने की वजह से खेतों में अच्छी नमी ने उर्वरकों की मांग पैदा की है, क्योंकि किसानों को रबी सीजन में अच्छी उपज की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि डीएपी की कमी को लेकर पंजाब, मध्य प्रदेश में किसानों के विरोध के मामले सामने आए हैं. जहां तक उपलब्धता का सवाल है, कुछ गड़बड़ है.
कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि अनुमानित मांग के मुकाबले डीएपी की बिक्री में गिरावट आना असामान्य है, जबकि मांग के साथ बिक्री के आंकड़ों की तुलना करने पर अन्य उर्वरकों में ऐसा कोई अंतर नहीं देखा गया. उन्होंने कहा कि इस साल गेहूं की फसल बहुत अहम है और सरकार को कोई जोखिम नहीं उठाना चाहिए और पर्याप्त समय पर खाद की उपलब्ध करानी चाहिए.
मौसम निगरानी रिपोर्ट के अनुसार खरीफ सीजन 2024 (अप्रैल-सितंबर) के दौरान कुल उर्वरक बिक्री 319.97 लाख टन थी, जिसमें 189.12 लाख टन यूरिया, 46.12 लाख टन डीएपी, 9.27 लाख टन एमओपी और 75.46 लाख टन कॉम्प्लेक्स (एनपी पोषक तत्वों का मिश्रण) शामिल था. इस सीजन में यूरिया की कुल मांग 321.44-177.12 लाख टन, डीएपी की 59.87 लाख टन, एमओपी की 10.26 लाख टन और कॉम्प्लेक्स की 74.19 लाख टन रहने का अनुमान है.
केंद्र सरकार ने रबी सीजन में उगाए जाने वाले खाद्यान्न उत्पादन का टारगेट 164.55 मिलियन टन तय किया है, जिसमें 115 मिलियन टन गेहूं, 13.65 मिलियन टन चना और 13.8 मिलियन टन सरसों शामिल है. खरीफ मक्का उत्पादन के 24.60 मिलियन टन के पहले के उत्पादन अनुमान को संशोधित कर 26 मिलियन टन कर दिया गया. रबी मक्का का उत्पादन टारगेट 11.45 मिलियन टन से बढ़ाकर 12 मिलियन टन और ग्रीष्मकालीन मक्का का उत्पादन 2.80 मिलियन टन से घटाकर 2 मिलियन टन कर दिया गया है. जबकि, अन्य फसलों के उत्पादन टारगेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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