क‍िसानों के ल‍िए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अगले तीन साल तक नहीं बढ़ेगा यूर‍िया का दाम

क‍िसानों के ल‍िए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अगले तीन साल तक नहीं बढ़ेगा यूर‍िया का दाम

Urea Subsidy: केंद्र सरकार ने क‍िसानों के ल‍िए 3,70,128.7 करोड़ रुपये के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी है. इसमें सबसे ज्यादा रकम यूर‍िया सब्स‍िडी के ल‍िए है. साथ ही जमीन में सल्फर की कमी को पूरा करने के ल‍िए सल्फर कोटेड यूर‍िया की शुरुआत का भी एलान क‍िया गया है. 

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क‍िसानों के ल‍िए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अगले तीन साल तक नहीं बढ़ेगा यूर‍िया का दामयूर‍िया को लेकर सरकार का बड़ा एलान (Photo-NFL).

केंद्र सरकार ने क‍िसानों के ह‍ित में एक बड़ा फैसला लेते हुए क‍िसानों के ल‍िए 3,70,128.7 करोड़ रुपये के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी है. ज‍िसमें 3,68,676.7 करोड़ रुपये यूर‍िया सब्स‍िडी के ल‍िए हैं. यह रकम अगले तीन साल तक के ल‍िए है. कैब‍िनेट ने इसकी मंजूरी दी है. यानी अब तीन साल तक क‍िसानों को यूर‍िया का कोई अत‍िर‍िक्त पैसा नहीं देना होगा. किसानों को 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी पहले की ही तरह 266.70 रुपये में उपलब्ध होगी. यह सब्स‍िडी 2022-23 से 2024-25 तक लागू रहेगी. साथ ही केंद्र ने जमीन में सल्फर की कमी को पूरा करने के ल‍िए सल्फर कोटेड यूर‍िया की शुरुआत करने का फैसला क‍िया है. 'क‍िसान तक' ने पहले ही इस बारे में एक व‍िस्तृत र‍िपोर्ट प्रकाश‍ित कर चुका है.

यह पैकेज हाल ही में स्वीकृत 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की एनबीएस यानी पोषक तत्व आधारित सब्सिडी के अतिरिक्त है. दरअसल, यूरिया एनबीएस योजना में शामिल नहीं है. यह मूल्य नियंत्रण के अधीन है. यानी इसका कंट्रोल प्राइस है और उसके तहत एमआरपी आधिकारिक तौर पर पहले से तय होता है. उससे अध‍िक दाम पर इसे नहीं बेचा जा सकता. फ‍िलहाल, केंद्र सरकार के नए फैसले से किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की जरूरत नहीं होगी. वो भी अगले तीन साल तक. इससे क‍िसानों को खेती की लागत कम करने में मदद मिलेगी. 

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ब‍िना सब्स‍िडी क‍ितना है यूर‍िया का दाम

इस वक्त यूरिया की एमआरपी 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम है. जबकि इसकी वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है. सरकार का दावा है क‍ि यूर‍िया सब्स‍िडी स्कीम को जारी रखने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा. सरकार ने कहा है क‍ि रासायन‍िक उर्वरकों के कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण खाद की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं. लेकिन सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को कीमतों में वृद्धि के बोझ से बचाया है. साल 2014-15 उर्वरकों पर सब्स‍िडी स‍िर्फ 73,067 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 2022-23 में 2,54,799 करोड़ रुपये हो गई है. 

सल्फर कोटेड यूर‍िया की शुरुआत

यूर‍िया के अंधाधुंध इस्तेमाल की वजह से जमीन में धीरे-धीरे सल्फर की बहुत कमी हो गई है. कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के अनुसार भारत की 42 फीसदी जमीन में सल्फर की कमी है. क‍िसान सामान्य तौर पर तो खेत में इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसल‍िए अब नई पहल से सरकार की कोश‍िश है क‍ि अगर कोई क‍िसान सौ क‍िलो यूर‍िया डाल रहा है तो उसके खेत में पांच से सात क‍िलो सल्फर चला जाए. सल्फर कोट‍िंग यूर‍िया से ग्राउंड वाटर पाल्यूशन कम होगा और त‍िलहन फसलों में तेल की मात्रा बढ़ जाएगी. सल्फर कोटेड यूर‍िया का नाम 'यूर‍िया गोल्ड' होगा.

नैनो यूर‍िया पर फोकस

इसी तरह वेल्थ फ्रॉम वेस्ट मॉडल के तौर पर मार्केट डेवलपमेंट अस‍िस्टेंस (MDA) स्कीम के ल‍िए 1451 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. इसके तहत म‍िट्टी को उर्वरा बनाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पराली और गोबरधन संयंत्रों के जर‍िए ऑगेन‍िक फर्ट‍िलाइजर का प्रयोग किया जाएगा. साथ ही नैनो यूरिया पर फोकस क‍िया जाएगा. सरकार ने कहा है क‍ि 2025-26 तक 195 लाल मीट्र‍िक टन पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया प्लांट चालू हो जाएंगे. नैनो यूर‍िया से क‍िसानों की लागत में कमी आएगी. साथ ही फसल की उपज में वृद्धि होगी.

यूर‍िया का क‍ितना स्वदेशी उत्पादन 

केंद्र ने कहा है क‍ि यूरिया के स्वदेशी उत्पादन पर फोकस क‍िया जा रहा है. साल 2014-15 में स्वदेशी उत्पादन 225 लाख मीट्र‍िक टन था. जो अब 2021-22 में बढ़कर 250 लाख मीट्र‍िक टन हो गया है. नैनो यूरिया प्लांट के साथ मिलकर यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता कम होगी. साल 2025-26 तक हम इस मामले में आत्मनिर्भर बन जाएंगे. यही नहीं धरती माता की उर्वरता बहाल करने के ल‍िए पीएम प्रणाम (PM-PRANAM) स्कीम शुरू की गई है. इसके तहत उर्वरकों के संतुल‍ित इस्तेमाल को बढ़ावा द‍िया जाएगा. वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को बढ़ावा म‍िलेगा. 

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