DBT: छत्तीसगढ़ में जहां बैंक नहीं है पास, तेंदूपत्ता किसानों की पूरी हुई उपज के नकद दाम की आस

DBT: छत्तीसगढ़ में जहां बैंक नहीं है पास, तेंदूपत्ता किसानों की पूरी हुई उपज के नकद दाम की आस

आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में दूर दराज के तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां बैंक तक किसानों की पहुंच आसान नहीं है. ऐसे में गांव के गरीब किसानों काे सरकारी योजनाओं का पैसा DBT के माध्यम से सरकार द्वारा सीधे बैंक खाते में भेजने से लाभार्थी को समय पर लाभ नहीं मिल पाता है. राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए ऐसे इलाकों की पहचान कर किसानों को नकद भुगतान का विकल्प अपनाया है.

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DBT: छत्तीसगढ़ में जहां बैंक नहीं है पास, तेंदूपत्ता किसानों की पूरी हुई उपज के नकद दाम की आसछत्तीसगढ़ में वन उपज का संग्रह करती आदिवासी महिलाएं (फाइल फोटो)

Government Schemes के लाभार्थी किसानों को सहायता राशि का लाभ समय से मिल सके, इसके लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने एक कारगर उपाय निकाला है. दरअसल छत्तीसगढ़ में दूरदराज के Tribal Areas में बैंक की शाखाएं दूर दूर होने के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले किसानों को उपज की खरीद के एवज में Direct Bank Transfer यानी डीबीटी के माध्यम से भेजे जा रहे पैसे का लाभ समय पर नहीं मिल पाता था. तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे आदिवासी किसानों की इस समस्या के समाधान के लिए साय सरकार ने फैसला किया है कि राज्य के जिन जिलों में बैंकों की शाखाएं आसपास नहीं है, वहां के तेंदूपत्ता किसानों को उनकी उपज संग्रह के मेहनताने के रूप में Cash Payment किया जाएगा. सरकार ने इस समस्या का सामना कर रहे तीन जिलों की पहचान कर, इनमें रहने वाले तेंदूपत्ता संग्राहकों को नकद भुगतान करने के आदेश जारी कर दिए हैं.

इन जिलों में होगा नकद भुगतान

राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि आदिवासी बहुल इलाकों से तेंदूपत्ता संग्राहक किसानों की कुछ समस्याओं के बारे में लगातार शिकायत मिल रही थी. इसके तहत इलाके में बैंकों की शाखाएं दूर होने की वजह से सरकारी योजनाओं में मिल रहे पैसे का किसान समय से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे. सरकार की ओर से इस पर संज्ञान लेकर ऐसे इलाकों को चिन्हित किया गया.

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कैंप लगाकर होगा भुगतान

सरकार की ओर से बताया गया कि सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों के तेंदूपत्ता संग्राहक किसानों काे एक निश्चित समय तय करके उपज संग्रह के पारिश्रमिक का भुगतान किया जाएगा. इसके लिए हाट-बाजारों में समय समय पर कैंप लगाए जाएंगे. इन कैंप में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2024 में पारिश्रमिक राशि का नकद भुगतान किया जाएगा. 

Forest and Climate Change Minister केदार कश्यप की ओर से बताया गया कि विभाग द्वारा इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों के अलावा अन्य जिलों में तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनके खाते में पारिश्रमिक राशि का भुगतान डीबीटी के माध्यम से ही किया जाएगा. राज्य के Chief Forest Conservator वी श्रीनिवास राव ने बताया कि वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि तेंदूपत्ता संग्रहण का नकद भुगतान जिला कलेक्टर की निगरानी में किया जाएगा.

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नकद भुगतान की होगी वीड‍ियोग्राफी

राव ने बताया कि नकद भुगतान के लिए पात्र किसानों का निर्धारण कलेक्टर द्वारा किया जाएगा. ऐसे प्रत्येक पात्र किसान का नकद भुगतान कलेक्टर की अनुमति से होगा. इसके लिए इन तीनों जिलों में कलेक्टर, वन मंडल अधिकारी एवं प्रबंध संचालक द्वारा आपसी समन्वय से प्रस्तावित क्षेत्र के अंतर्गत हाट बाजार या अन्य उपयुक्त स्थान पर कैंप लगाया जाएगा. 

इसमें संग्राहकों को तेंदूपत्ता संग्रहण कार्ड में उचित प्रविष्टि दर्ज कर नकद भुगतान करते हुये किसान से पावती प्राप्त करके ही भुगतान होगा. कैंप लगाने से पहले इलाके में पर्याप्त प्रचार-प्रसार किया जाएगा. नकद भुगतान प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी होगी.

इतना ही नहीं, संबंधित जिला कलेक्टर के मार्गदर्शन में उपरोक्त कैंप में तेंदूपत्ता किसानों को जरूरत के मुताबिक Aadhar Card जारी करने और बैंक खाता खुलवाने हेतु जरूरी औपचारिकताएं पूरा करने के भी निर्देश दिए गए हैं. जिससे भविष्य में जब डीबीटी के माध्यम से भुगतान हो, तो उन किसानों को भी इसका लाभ मिल सके, जिनके अभी तक बैंक खाते नहीं खुले हैं.

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