छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार गाय पर आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किग्रा की दर से गोबर खरीदती है. इस योजना के तहत गठित गौठान समितियों द्वारा किसानों से खरीदे गए गोबर से प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जा रहा है. इस कारोबार से ग्रामीणों ने लगभग 5 करोड़ रुपये तक का शुद्ध मुनाफा भी कमा लिया है. राज्य में अगर Cow dung Economy की बात की जाए तो गोधन न्याय याेजना के तहत अब तक गौठान समितियां गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बना कर प्राकृतिक खेती करने के लिए किसानों को 10 रुपये प्रति किग्रा की रियायती दरों पर बेच रही थीं. अब मांग से ज्यादा वर्मी कंम्पोस्ट बनने पर बचे गोबर से ईंट, गोकाष्ठ और अगरबत्ती आदि उत्पाद भी बनाये जा रहे हैं. राज्य में गोबर के उत्पादों से लगातार बढ़ रही 'गोबर इकोनाॅमी' को अब गोबर से बने प्राकृतिक पेंट ने गति प्रदान कर दी है. राज्य में गोबर से गौठान में ही प्राकृतिक पेंट बनाने की 51 यूनिट स्थापित हो चुकी हैं. इनमें गोबर से 2.66 लाख लीटर प्राकृतिक पेंट बनाया जा चुका है.
छत्तीसगढ़ में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए स्थापित गौठान में ही अब गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है. इस क्रम में राज्य के 51 गौठानों में पेंट बनाने की यूनिटें लग चुकी हैं. इसी तरह की 13 इकाईयां निर्माणाधीन हैं.
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इन यूनिटों से अब तक 2 लाख 66 हजार 155 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया जा चुका है. इसमें से 2 लाख लीटर से अधिक प्राकृतिक पेंट की बिक्री से ग्रामीणों को 4.15 करोड़ रुपये की आय भी हो चुकी है. राज्य सरकार ने फिलहाल प्राकृतिक पेंट बनाने की 64 इकाईयों के निर्माण को स्वीकृति दी है. इनमें से निर्माणाधीन 13 पेंट यूनिटों की निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. शीघ्र ही इन यूनिटों में पेंट उत्पादन शुरू हो जाएगा.
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गौठानों में आय से जुड़ी तमाम गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ गोबर से प्राकृतिक पेंट ही नहीं, अब डिस्टेंपर और वॉल पुट्टी का उत्पादन भी तेजी से होने लगा है. इन यूनिटों में अब दीवार पर पेंट करने से पहले की जाने वाली वॉल पुट्टी और सस्ते पेंट के रूप में इस्तेमाल हो रहे डिस्टेंपर का भी निर्माण होने लगा है.
इन यूनिट में अब तक 2 लाख लीटर प्राकृतिक पेंट के अलावा 1 लाख 427 लीटर डिस्टेम्पर तथा 9064 किग्रा पुट्टी बनाई गई है. जिसमें से 1,66,020 लीटर प्राकृतिक पेंट, 68,260 लीटर डिस्टेम्पर तथा 2840 किग्रा पुट्टी के विक्रय से कुल 4 करोड़ 78 लाख 37 हजार रुपये की आय ग्रामीणों को हुई है.
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