
महाराष्ट्र के चंद्रपुर के वरोरा तहसील में बुधवार-गुरुवार को करीब 1100 किसान परिवारों ने दिंडोरा बैराज परियोजना में मुआवजे की मांग को लेकर नदी में उतरकर आंदोलन किया. किसान बड़ी संख्या में अपने परिवार के साथ आंदोलन में शामिल हुए और जोरदार नारेबाजी करते हुए उचित मुआवजे की मांग उठाई. चंद्रपुर, वर्धा और यवतमाल इन तीन जिलों के करीब 1100 किसानों की 1400 हेक्टेयर जमीन दिंडोरा बैरेज परियोजना के लिए 1993 में अधिग्रहित की गई थी. उस समय सरकार ने अनुदान के रूप में तीन लाख प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि किसानों को दी थी. लेकिन किसान अब 2013 की मुआवजा नीति के अनुसार अपनी जमीन के लिए मुआवजा मांग रहे हैं.
जिस वक्त जमीन का अधिग्रहण किया गया ता, उस समय यह जमीन निप्पोन एंड डेड्डोला नामक कंपनी को दी गई थी. 1993 से लेकर अब तक यहां किसी परियोजना की शुरुआत नहीं की गई. लेकिन अब इस परियोजना का काम शुरू किया गया है. इसीलिए किसान सरकार से 2013 के नए कानून के मुताबिक उचित मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन में किसानों ने जमीन का हक दिए जाने या उचित मुआवजे की मांग की है. धरना प्रदर्शन में किसानों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्रालय के खिलाफ नारेबाजी की.
किसानों का यह विरोध प्रदर्शन दो दिनों का था. इस दौरान सभी पीड़ित किसानों ने वर्धा नदी की तलहटी में उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और अपनी मांगें रखी. किसानों ने पूरी रात जागकर और भजन-कीर्तन करते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की. नदी की तलहटी में किसानों ने मानव श्रृंखला बनाई और विरोध प्रदर्शन को अंजाम दिया. दिंडोरा बैराज परियोजना में यवतमाल, चंद्रपुर और वर्धा जिलों के 1100 किसानों की जमीन बैराज के लिए दी गई है.
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इसमें 1400 किसान पीड़ित बताए जा रहे हैं जिनकी मांग है कि 2013 के अधिग्रहण कानून के तहत उनकी जमीन का मुआवजा दिया जाना चाहिए. किसान पशुधन, मछुआरे और किसानों के लिए उचित पैकेज देने की मांग कर रहे हैं. एक मार्च को तीन जिलों के किसानों ने मानव श्रृंखला बनाकर अपने आंदोलन की शुरुआत की. किसान अपने बच्चों के साथ-साथ बैलों को लेकर भी पहुंचे. यह आंदोलन बुधवार और गुरुवार को चला.
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यह बैराज निप्पोन एंड डेड्डोला कंपनी के लिए बनाया जाना है. इस प्रोजेक्ट को 1993 में लॉन्च किया गया था और अभी इसकी लागत 400 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. लेकिन किसानों का कहना है कि मछुआरों, खेतिहर मजदूरों और कृषकों को उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है जिसके प्रभाव में लगभग 32 गांव आ रहे हैं. किसान सरकार पर मामले को भटकाने और लटकाने का आरोप लगा रही है. किसानों ने अभी छोटे स्तर पर आंदोलन किया है, लेकिन भविष्य में इसे बढ़ाने की चेतावनी दी है.(रिपोर्ट/विकास राजुरकर)
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