Punjab: फिरोजपुर में 40 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान, बॉर्डर पर खेती से जुड़ा है मामला 

Punjab: फिरोजपुर में 40 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान, बॉर्डर पर खेती से जुड़ा है मामला 

पंजाब के फिरोजपुर में पिछले 40 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इन किसानों को दरअसल भारत-पाकिस्‍तान बॉर्डर के तहत आने वाली जमीन पर खेती करने से रोक दिया गया है. किसानों ने कहा कि वे सन् 1989 से जब सीमा पर कांटेदार बाड़ लगाई गई थी तब से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं. कुछ मामलों में तो जब वो पाकिस्तान से पलायन कर आए थे तब से खेती का काम जारी रखे हुए हैं. लेकिन अब उन्हें रोक दिया गया है.

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फिरोजपुर में 40 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान, बॉर्डर पर खेती से जुड़ा है मामला पंजाब के फिरोजपुर में 40 दिनों से किसानों का विरोध प्रदर्शन

शंभू-खनौरी बॉर्डर से अलग पंजाब में एक ऐसा किसान विरोध प्रदर्शन जारी है जिसके बारे में कोई चर्चा नहीं कर रहा है. भारत-पाकिस्‍तान बॉर्डर के करीब रहने वाले किसान पिछले 40 दिनों से प्रदर्शन पर बैठे हैं. पंजाब के फिरोजपुर में भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धपुर) के बैनर तले प्रदर्शनकारी किसानों का प्रदर्शन जारी है. ये किसान बॉर्डर के करीब जमीन के एक हिस्‍से पर धारा 145 लगाए जाने से नाराज हैं और इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. 

साथी के अंतिम संस्‍कार से इनकार 

अखबार द ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के अनुसार  ये किसान इतने नाराज हैं कि इन्‍होंने पिछले दिनों ममदोट के भंबा हाजी गांव के अपने साथी महिंदर सिंह के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि उन्हें कांटेदार बाड़ के पार स्थित अपने खेतों में जाने से रोक दिया गया है. किसानों ने कहा कि वे सन् 1989 से  जब सीमा पर कांटेदार बाड़ लगाई गई थी तब से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं. कुछ मामलों में तो जब वो पाकिस्तान से पलायन कर आए थे तब से खेती का काम जारी रखे हुए हैं. 

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बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ 

अखबर ने बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) के जिला प्रमुख गुरमीत सिंह घोरेचक्क के हवाले से लिखा है, 'महिंदर को बाड़ के पार अपने खेतों में जाने से रोके जाने के बाद दिल का दौरा पड़ गया था.' उनका कहना है कि सैकड़ों किसान राज्य सरकार की तरफ से उनके साथ किए जा रहे अन्याय का खामियाजा भुगत रहे हैं. गुरमीत ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी (आप) के कुछ नेता नेता जमीन हड़पना चाहते हैं. एक और किसान रंजीत सिंह ने बताया, 'बीएसएफ और सुरक्षा एजेंसियों के निर्देश पर हमने बंजर जमीन से जंगली झाड़ियां हटाकर उसे उपजाऊ बनाया है.' 

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डीटी मॉल इलाके में करीब 880 एकड़ जमीन पर खेती के अधिकार को लेकर विवाद के बाद एसडीएम ने धारा 145 लगा दी थी. इस वजह से किसान प्रांतीय सरकार की जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे थे. बाद में जब खेती के लिए जमीन की नीलामी की जा रही थी तो उस समय किसानों ने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया कि वो जमीन को अपने गुर्गों को देकर उसे हड़पना चाहते हैं.

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किसानों को परेशान करने का आरोप 

बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) के ब्लॉक प्रधान गुरसेवक सिंह धालीवाल ने कहा, 'बीएसएफ और बाकी एजेंसियों की तरफ से सुरक्षा के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है. यहां तक ​​कि राज्य सरकार ने भी हमें इस हद तक धकेल दिया है कि हमारे पास विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.' एक और किसान बलविंदर सिंह ने मांग की कि उन्हें मालिकाना हक दिया जाना चाहिए और बाड़ के पार खेती करने के लिए कठोर शर्तों में ढील दी जानी चाहिए. 

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जगदीश लाल ने कहा कि सरकार को मृतक किसान मोहिंदर के परिवार को भी मुआवजा देना चाहिए, जिसकी मौत चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई.  वहीं डिप्‍टी कमिश्‍नर राजेश धीमान ने कहा कि जमीन पर धारा 145 लगाने का मामला कोर्ट में विचाराधीन है. उनका कहना था कि मामला उच्च अधिकारियों के सामने उठाया जाएगा और उम्मीद है कि जल्द ही इसका समाधान हो जाएगा. 

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