पंजाब-हरियाणा में शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी है. बॉर्डर बंद रहने के कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसे देखते हुए प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र और हरियाणा सरकार के बीच जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए आज सुनवाई होगी. इस सुनवाई से पहले हरियाणा और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों ने किसान नेताओं के साथ बैठक की. दोनों पक्षों के बीच हुई यह बैठक लगभग एक घंटे से अधिक समय तक चली. लंबी बैठक होने के बावजूद यह बैठक बेनतीजा रही क्योंकि किसानों ने हरियाणा सरकार की तरफ से दिए गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
हरियाणा सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि वो बॉर्डर से आंशिक रूप से बैरिकेडिंग हटाने के लिए तैयार हैं, पर शर्त यह कि हाईवे खुलने के बाद किसान उस रास्ते से ट्रैक्टर और ट्रेलर को दिल्ली नहीं लेकर जाएंगे. किसानों ने हरियाणा सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और कहा कि ट्रैक्टर कोई हथियार नहीं है. यह उनके लिए धूप, ठंड और बरसात से बचने का एक साधन है. साथ ही यह हमारे लिए परिवहन की सुविधा देता है. इसके जरिए हम प्रदर्शनकारी किसानों तक राशन पहुंचाते हैं.
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इससे पहले 12 अगस्त को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई की थी. इस दौरान बेंच ने पंजाब और हरियाणा के डीजीपी को निर्देश दिया था कि वे अंबाला और पटियाला के डिप्टी कमिश्नरों और एसएसपी को साथ लेकर किसानों के साथ बैठक करें ताकि हाईवे का एक लेन खोला जा सके. बेंच ने सरकार और किसानों के बीच तालमेल बिठाने के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव भी दिया था और समिति में शामिल प्रमुख व्यक्तियों के नामों की चर्चा की थी. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 22 अगस्त की तारीख तय की थी.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के अनुसार किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसानों ने हाईवे को बंद नहीं किया, बल्कि हरियाणा सरकार ने 13 फरवरी को किसानों के दिल्ली मार्च से पहले ऐसा किया है. किसान नेताओं ने कहा कि वे शुरू से ही हाईवे खोलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा सरकार की तरफ से ट्रैक्टर-ट्रेलर को नहीं ले जाने का प्रस्ताव रखा गया है, उसे हम खारिज करते हैं. उन्होंन कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि ट्रैक्टर एक कृषि उपकरण और हमारा साथी भी है. जब इसकी जरूरत खेतों में नहीं होती है तब हम इसका इस्तेमाल अपने सामाजिक जीवन में अलग-अलग काम करने के लिए करते हैं.
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किसान नेताओं ने आगे कहा कि आंदोलनकारी किसान पिछले छह महीने से अधिक समय से पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. अगर उन्हें आगे परमिशन मिल भी जाती है तो हो सकता है दिल्ली में उन्हें लंबे समय तक के लिए बैठना पड़ सकता है. इस स्थिति में ट्रैक्टर-ट्रेलर हमें बारिश, गर्मी और ठंड के मौसम से बचाएंगे और किसानों के लिए राशन भी लेकर आएंगे. कल की बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उन्हें यह बताकर बैठक समाप्त कर दी कि भविष्य में ऐसी और बैठकें हो सकती हैं.
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