वर्मीवाश एक तरल जैविक खाद है. यह केचुंओ द्वारा छोड़े गए हॉर्मोन पोषक तत्व औऱ एंजाइम से बनता है. इसमें पौधों को रोगों से बचाने की क्षमता होती है. यह घुलनशील होते हैं और पोषक तत्वों में आसान से घुलकर पौधों को लाभ पहुंचाते हैं. इसमें घुलनशील पोटाश, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे प्रमुख पोषत तत्व होते हैं. इसके अलावा इसमें ह़ार्मोन जैसे ऑक्सीजन और साइटोकाइनीन, विटामिन, अमीनो एसिड के साथ-साथ अलग तरह के एंजाइम जैसे प्रोटीएज, एमाइलेज,यूरीएज और फॉस्फेटेज पाए जाते हैं. इतना ही नहीं इसमें नाइट्रोजन फिक्सेसन करने की भी क्षमता होती है. क्योंकि इनमें बैक्टिरिया जैसे ओजोटोबैक्टर भी पाया जाता है.
वर्मीवाश एक प्राकृतिक उर्रवरक है, इसके प्रयोग से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है साथ ही साथ मिट्टी का भी स्वास्थ्य बेहतर रहता है. इसके कोई भी अवशेष मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. पर इसके निर्माण में खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है. जैसे वर्मीवाश बनाने के लिए भीताजा गोबर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे केंचुएं मर जाते हैं. वर्मीवाश यूनिट हमेशा छायादार जगह पर बनाने की जरूरत होत है. जिससे केंचुएं को भी धूप से बचाया जा सकता है. साथ ही केचुएं को सांप, मेंढक और छिपकली से बचाने के लए उचित प्रबंधन करना चाहिए. बेड में नमी बनाए रखने के लिए 20 दिनों तक साफ पानी का छिड़काव करें. केंचुआं की उचित प्रजातियों का चयन करना चाहिए.
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वर्मीवाश का उपयोग अनाज औऱ दहलनी फसलों में किया जाता है. इससे इनकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है.इसके इस्तेाल से सब्जियों में फलन और फूलन की प्रक्रिया काफी तेज गति से होती है. साथ ही इसकी गुणवत्ता बढ़ती है. इसके इस्तेमाल से फसलों और सब्जियों को विभिन्न रोगों से बचाया जा सकता है. यह एक अच्छा रोगरोधी पदार्थ होता है. वर्मीवाश से ऊगाई गई सब्डियों की बाजर में अच्छी कीमत भी मिलती है. इससे किसानों की कमाई बढ़ती है.
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टमाटर के पौधों पर वर्मीवाश का छिड़काव करने से बेहद फायदा होता है. इससे ना केवल तने की लंबाई बढ़ती है बल्कि पत्तियों की संख्या में भी वृद्धि होती है.साथ ही पौधों में रोगरोधी क्षमता का विकास होता है. बैंगन के पौधों में वर्मीवाश का इस्तेमाल करने से पौधों की ऊंचाई बढ़ती साथ ही पत्तियों की संख्या बढती है. इसके अलावा फूलूों की संख्या भी अधिक होती है जिससे फलन अधिक होता है. वर्मीवाश के इस्तेमाल से बैंगन की उपज बढ़ जाती है. मेथी में इसका इस्तेमाल करने पर बीज अंकुरण में इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. साथ ही खेत की मिट्टी को फायदा पहुंचता है.
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