कश्मीर में बर्फबारी शुरू हो चुकी है. खासतौर से पुलवामा, कुलगाम और पंपोर में जमकर बर्फ गिर रही है. कश्मीरवासी ही नहीं देशभर के बहुत सारे लोग इस बर्फबारी का मजा लेते हैं. लेकिन कश्मीर के कुछ खास इलाके हैं जहां बर्फबारी होते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. ये वो इलाके हैं जहां केसर की पैदावार होती है. गौरतलब रहे केसर की फसल के लिए पानी से ज्यादा बर्फबारी की जरूरत होती है.
बर्फबारी नहीं होगी तो केसर में अर्क (रस) अच्छी तरह से नहीं बनेगा. हालांकि दो से तीन महीने तक पानी की सिंचाई भी जरूरी होती है, लेकिन अगर बारिश न हो तो दूसरे साधनों से फसल को पानी दिया जा सकता है, लेकिन बर्फवारी का कोई विकल्प नहीं है.
पंपोर के पत्तलघर गांव के केसर किसान इरशाद डार ने किसान तक को बताया कि अगस्त से सितम्बर तक केसर की फसल को पानी की जरूरत होती है. अक्टूबर में भी थोड़ा बहुत पानी चाहिए होता है. यह पानी अगर बारिश की शक्ल में मिले तो वो केसर के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है. वर्ना तो जैसे-तैसे जुगाड़ कर सिंचाई की जाती है.
इसके अलावा दिसम्बर से जनवरी तक फसल को बर्फबारी भी चाहिए. अगर दिसम्बर से बर्फ गिरना शुरू हो जाती है तो यह मान लिजिए कि केसर की फसल अच्छी होगी. लेकिन आजकल तो न बारिश का वक्त तय है और ना ही बर्फबारी का.
देश के सिर्फ 5 राज्यों में होता है 65 फीसद अंडे का उत्पादन
सैय्यद अलताफ जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चर विभाग के डायरेक्टर रहे हैं. किसान तक से फोन पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि अगस्त-सितम्बर में केसर को बारिश की बहुत जरूरत होती है. वहीं दिसम्बर और जनवरी में बर्फवारी केसर की ग्रोथ को बढ़ाती है. लेकिन अफसोस की बात है कि क्लाइमेट चेंज के चलते बहुत बदलाव आ गया है. अब न तो बारिश के बारे में ठीक-ठीक पता है कि कब होगी और न ही बर्फबारी के बारे में की कब गिरेगी. केसर की सिंचाई ज्यादातर प्रकृति के भरोसे है.
फसल पकने से पहले ही तय हुए आलू के दाम, जानें रेट और वजह
कुछ साल पहले तक कश्मीर के पुलवामा समेत कुछ इलाकों में हर साल 15 टन तक केसर का उत्पादन होता था. 5 हजार हेक्टेयर जमीन पर केसर की खेती की जाती थी. लेकिन अब जमीन घटकर करीब 3715 हेक्टेयर रह गई है. वहीं केसर का उत्पादन भी 8-9 टन के आसपास ही सिमट गया है. जबकि ईरान में करीब 50 हजार हेक्टेयर जमीन पर केसर की खेती होती है.
ये भी पढ़ें-
Saffron: कश्मीरी के मुकाबले आधे रेट पर बिक रहा ईरानी केसर, जानें वजह
इस फल की खूब खाई जाती है मिठाई-सब्जी, अब पिया जा रहा जूस, जानें वजह
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today