फसल पकने से पहले ही तय हुए आलू के दाम, जानें रेट और वजह 

फसल पकने से पहले ही तय हुए आलू के दाम, जानें रेट और वजह 

आगरा-अलीगढ़ मंडल के 7 शहर यानि आधे से ज्यादा ब्रज क्षेत्र में बड़ी मात्रा में आलू पैदा होता है. अगर जनवरी के मौसम में यहां मौसम आलू के विपरीत होता है तो उसका उसर देश की राजधानी दिल्ली की मंडियों पर भी पड़ता है. आलू कारोबारियों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में करीब 95 फीसद आलू अलीगढ़ के सासनी और हाथरस का खाया जाता है.

Advertisement
फसल पकने से पहले ही तय हुए आलू के दाम, जानें रेट और वजह आगरा में आलू के खेत का प्रतीकात्मक फोटो.

देशभर में आलू की फसल 65 से 70 दिन की हो चुकी है. आमतौर पर आलू की फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है. देश की सबसे बड़ी आलू मंडी आगरा में भी फसल 70 दिन की हो चुकी है. खुशखबरी यह है कि अभी तक फसल को किसी भी तरह की बीमारी और प्राकृतिक आपदा से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. जानकारों का मानना है कि दिन में धूप और रात को कोहरे वाले मौसम के चलते फसल अच्छी ग्रोथ कर रही है. यही वजह है कि फसल पकने से पहले ही आलू कारोबारी गांवों में पहुंचना शुरू हो गए हैं. आलू के रेट भी लगा दिए हैं. 

आलू के जानकारों का कहना है कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब 65 से 70 दिन की फसल पर आलू व्यापारी आना शुरू हुए हैं. हर सीजन में यही होता है. खुदाई के दौरान जैसा और जितना आलू निकलेगा वो हमारा होगा के आधार पर आलू के रेट तय हो जाते हैं और फसल भी बिक जाती है. 

13 से 14 सौ रुपये क्विंटल तक के रेट हो रहे तय 

आगरा के आलू कारोबारी और इफ्को बाजार चलाने वाले मनोज जैन ने किसान तक को बताया कि इस वक्त आलू की फसल अच्छी और बिकना किसी परेशानी के हो रही है. 65 से 70 दिन की फसल हो चुकी है. कुछ खेतों की बात छोड़ दें तो आलू में कोई बीमारी भी नहीं लगी है. इसी के चलते आलू के बड़े कारोबारियों ने अभी से बुकिंग शुरू कर दी है. सीधे खेतों में जाकर किसान से खेत में लगी पूरी फसल का सौदा तय कर रहे हैं. सौदा भी 13 से 14 सौ रुपये क्विंटल के भाव से हो रहा है. 

खेत से आलू बिक रहा तो बच गया कोल्ड स्टोरेज का खर्च 

आलू किसान राजेश का कहना है कि फसल पकने से पहले होने वाले सौदे में किसान को भी राहत के साथ बड़ा मुनाफा होता है. क्योंकि खेत में लगी फसल का सौदा हो रहा है और सीधे ही खेत से बिक जा रही है तो कोल्ड स्टोरेज में रखने का खर्च भी नहीं उठाना पड़ता है. वारदाना और कोल्ड का खर्च खुद कारोबारी ही करता है. 

टीकमगढ़ का अदरक बन रहा ब्रांड! एक जिले- एक उत्पाद के तौर पर हुआ च‍िन्ह‍ित

यह सौदा नहीं रेट बढ़ाने को होती है सट्टेबाजी 

खंदौली, आगरा के कारोबारी गिरधारी लाल गोयल (गिलागो सेठ) ने आलू के ऐसे सौदे के बारे में बताया कि यह सौदे पूरी तरह से सट्टेबाजी वाले होते हैं. इनका मकसद सिर्फ फसल के दाम में उतार-चढ़ाव लाना होता है. मेरी उम्र 70 साल से ऊपर है, लेकिन मैंने आजतक एक फीसद भी ऐसे सौदों को पूरा होते नहीं देखा है. जबकि आलू की फसल पर सबसे ज्यादा रिस्क तो अब है. आप पुराना इतिहास उठाकर देख लें कि जनवरी में जब-जब मौसम बिगड़ा है तो 15 से 25 जनवरी के आसपास ही बिगड़ा है. ऐसे में कौन व्यापारी होगा जो आज की तारीख में सौदा करेगा.    

ये भी पढ़ें-

बिना गैस पर पकाए ही बन जाता है ये चावल, 400 साल पुराना है इतिहास, देखें वीडियो

दूधिया बने फि‍ल्म अभ‍िनेता सुनील ग्रोवर, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ फोटो

POST A COMMENT