scorecardresearch
Saffron: कश्मीरी के मुकाबले आधे रेट पर बिक रहा ईरानी केसर, जानें वजह 

Saffron: कश्मीरी के मुकाबले आधे रेट पर बिक रहा ईरानी केसर, जानें वजह 

जानकार बताते हैं कि भारत को हर साल 100 टन केसर की जरूरत होती है. सबसे ज्यादा केसर ईरान, चीन, अफगानिस्तान से आयात होती है. दिल्ली की खारी बावली और जामा मस्जि‍द केसर की बड़ी मंडी हैं. कश्मीर के पुलवामा में बड़े पैमाने पर केसर की खेती की जाती है.  

advertisement
केसर का प्रतीकात्मक फोटो. केड्र‍िट जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चर विभाग. केसर का प्रतीकात्मक फोटो. केड्र‍िट जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चर विभाग.

वैसे तो केसर मसालों में शामिल है. लेकिन देश में केसर को मेवों में भी शामिल किया जाता है. लेकिन बात मेवा की करें या मसालों की, दोनों ही जगह सबसे महंगे दाम पर बिकने वाली केसर ही है. केसर के किसी भी ग्रेड की बात कर लो लाखों रुपये किलो से दाम फिर भी कम नहीं होंगे. लेकिन आजकल बाजार में केसर के दाम में बड़ा फर्क देखा जा रहा है. 13 सौ रुपये की 10 ग्राम केसर बिक रही है तो 25 सौ रुपये की 10 ग्राम वाली केसर भी बाजार में हाथों-हाथ बिक रही है. 

जानकारों की मानें तो कश्मीरी केसर के मुकाबले आधे दाम पर बिकने वाली केसर ईरान की है. रेट में बेशक आधे-आधे का फर्क है, लेकिन दोनों केसर की क्वालिटी में कई गुना फर्क होने का दावा किया जाता है. कहा तो यह भी जा रहा है कि ईरानी केसर भारत में कश्मीरी केसर बताकर बेची जा रही है. 

एग्रीकल्चर डायरेक्टर ने रेट में फर्क की बताई बड़ी वजह 

जम्मू-कश्मीर एग्रीकल्चर के पूर्व डायरेक्टर सैय्यद अलताफ ने फोन पर किसान तक को बताया कि कश्मीर में होने वाली केसर पूरी तरह से ऑर्गनिक है. जबकि ईरानी केसर में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया जाता है. जिसके चलते कश्मीरी केसर ईरान ही नहीं अफगानिस्तान, चीन, पुर्तगाल और दूसरे देशों के मुकाबले तीन गुना बेहतर है. कश्मीरी केसर दवाईयों में इस्तेमाल के लिए हाथों-हाथ बिक जाती है. एक वजह यह भी है कि भारत में केसर की खेती का क्षेत्रफल बहुत कम है. जबकि ईरान में केसर की खेती का क्षेत्रफल करीब 10 गुना से ज्यादा है. 

दिल्ली-एनसीआर में अब खाने को मिलेगी ताजा झींगा मछली, जानें प्लान 

जानें क्या कहते हैं केसर किसान इरशाद 

इरशाद ने किसान तक को बताया कि हम लोग केसर की पूरी तरह से ऑर्गनिक खेती करते हैं. अगर केसर के फूल या पौधों में कभी कोई बीमारी लगती भी है तो उसका इलाज भी ऑर्गनिक तरीके से ही किया जाता है. कभी भी पौधे पर केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. फिर चाहें बेशक पूरी फसल ही खराब क्यों न हो जाए. और पेस्टीमसाइड का इस्तेमाल होने पर हमे मिट्टी खराब होने का भी डर रहता है. इसीलिए आप देखेंगे कि बाजारों में ईरानी केसर पर कश्मीर केसर होने का टैग लगाकर बेची जा रही है. जबकि दोनों की ही क्वालिटी में बहुत फर्क है. 

फ्राई करने पर भी ब्राउन नहीं होते हैं बाजार में बिकने वाले चिप्स, जानें वजह

जानिए बाजार में किस रेट बिक रहा केसर 

जामा मस्जिद, दिल्ली में केसर का कारोबार करने वाले नसीम शेख बताते हैं कि आज भी कश्मीरी केसर सबसे महंगी बिक रही है. बाजार में और आनलाइन कश्मीरी केसर की कीमत 25 सौ रुपये की 10 ग्राम से लेकर 3 हजार रुपये तक है. वहीं ईरानी केसर जो नागिन के नाम से बिकती है वो 130 रुपये की 10 ग्राम बिक रही है.  

 ये भी पढ़ें-